भारत का मेडिकल टूरिज्म सेक्टर आज एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुका है जो न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रहा है, बल्कि लाखों विदेशी मरीजों के लिए जीवन की नई उम्मीद भी जगा रहा है। मिशिगन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर बॉनी जैसी, जिनका 2 किलो का कैंसर ट्यूमर अमेरिकी डॉक्टर्स के लिए जटिल चुनौती था, भारत आकर कैंसर मुक्त जीवन पाया हैं। UK के 56 वर्षीय टॉबी जेम्स बर्र ने अहमदाबाद के शैल्बी हॉस्पिटल में घुटने की सर्जरी कराकर चार दिनों में दर्द मुक्त जीवन पाया।
यह आर्टिकल भारत के मेडिकल टूरिज्म सेक्टर की समग्र तस्वीर प्रस्तुत करता है। जिसमें हम देखेंगे कि वर्तमान में मेडिकल टूरिज्म की स्थिति क्या है और ऐसा क्या है जो विदेशी मरीजों को भारत की ओर आकर्षित कर रही हैं।
क्या है मामला?
भारत का मेडिकल टूरिज्म सेक्टर वर्तमान में एक असाधारण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। 2024 के आंकड़े बताते हैं कि लगभग 73 लाख विदेशी मरीजों ने विभिन्न चिकित्सा उपचारों के लिए भारत का रुख किया है। यह संख्या कोविड-19 के बाद की रिकवरी की एक शानदार कहानी को दर्शाती है। पर्यटन मंत्रालय के डेटा के अनुसार, विदेशी पर्यटकों की संख्या 2020 में मात्र 1,80,000 से बढ़कर 2024 में लगभग 6,50,000 हो गई है यह तीन गुना से अधिक की वृद्धि है। सिर्फ इतना ही नहीं, 2025 के पहले चार महीनों में यह आंकड़ा 1,31,856 रहा है।
मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स 2020-21 में 46 देशों की सूची में भारत 10वें स्थान पर है, जो इसकी ग्लोबल प्रतिस्पर्धी क्षमता को दर्शाता है।
भारत मेडिकल टूरिज़्म का नया ग्लोबल हब
पर्यटन मंत्रालय के 2023 के डेटा के अनुसार, मेडिकल ट्रैवल में विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले पर्यटकों में पश्चिम एशिया की हिस्सेदारी 22.7%, अफ्रीका की 21.2% और दक्षिण एशिया की 19.8% है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब भारत की हेल्थकेयर सर्विसेज केवल दक्षिण एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि यूरोप और UK से भी मरीजों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है।
जटिल कैंसर सर्जरी से लेकर जॉइंट रिप्लेसमेंट और दुर्लभ ऑर्थोपेडिक प्रक्रियाओं तक, भारतीय अस्पताल उन लोगों के लिए भरोसेमंद डेस्टिनेशन साबित हो रहे हैं जिन्होंने या तो उम्मीद खो दी थी या उनके देश में सीमित विकल्प थे।
मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने वाले फैक्टर्स
भारत तेजी से मेडिकल टूरिज़्म का ग्लोबल हब बनता जा रहा है, जिसके पीछे इन तीन फैक्टर्स ने अहम भूमिका निभाई है:
विकसित देशों में बढ़ती स्वास्थ्य चुनौतियां: UK का राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण है। वर्तमान में 74 लाख लोग वेटिंग लिस्ट में हैं, जिनमें से लगभग 28.3 लाख 18 सप्ताह से ज्यादा समय से इंतजार कर रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 1,90,000 से अधिक मरीज़ एक साल से ज्यादा समय से इलेक्टिव केयर का इंतजार कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में भारत एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरा है।
किफायती इलाज: विकसित देशों की तुलना में भारत में चिकित्सा प्रक्रियाओं की लागत 60-80% तक कम है।
वीज़ा नियमों का सरलीकरण: केन्द्रीय बजट 2025-26 में वीज़ा नियमों को सरल किया है, जिससे मेडिकल ट्रैवल और आसान हो गया है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
भारत का हेल्थकेयर सेक्टर अब केवल डोमेस्टिक डिमांड पर निर्भर नहीं रहा, बल्कि तेजी से केवल दक्षिण एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया से मरीजों को आकर्षित कर रहा है। यूरोप और UK जैसे क्षेत्रों से बढ़ती डिमांड भारतीय अस्पतालों के लिए नई ग्रोथ स्टोरी लिख रही है।
मैक्स हेल्थकेयर, अपोलो हॉस्पिटल्स, फोर्टिस और एस्टर DM हेल्थकेयर जैसी बड़ी कंपनियां खुद को ग्लोबल हेल्थकेयर सॉल्यूशन प्रोवाइडर के रूप में स्थापित कर रही हैं। इनका लक्ष्य अगले साल तक विदेशी रेवेन्यू योगदान को दोगुना करना है।
निवेशकों के लिए इसका मतलब है कि भारतीय हेल्थकेयर स्टॉक्स में लॉन्ग-टर्म ग्रोथ पोटेंशियल मजबूत हो रहा है। बढ़ती अंतरराष्ट्रीय डिमांड, विदेशी करेंसी में आय और सरकार की मेडिकल टूरिज़्म को बढ़ावा देने वाली नीतियां इस सेक्टर को और आकर्षक बना सकती हैं।
भविष्य की बातें
भारत का मेडिकल टूरिज़्म मार्केट 2025 तक USD 18.2 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है और 2035 तक इसके बढ़कर USD 58.2 बिलियन होने की संभावना है, जिसकी CAGR ग्रोथ लगभग 12.3% रहेगी। जबकि ग्लोबल स्तर पर, मेडिकल टूरिज़्म मार्केट 2024 में USD 41.75 बिलियन का था और 2030 तक इसके 16% CAGR के साथ USD 101.98 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।

भारतीय मेडिकल टूरिज़्म मार्केट 2025 से 2030 के बीच 12.3% की CAGR के साथ $58.2 बिलियन के मार्केट साइज की राह पर है।
भारत हर साल लगभग 78 देशों से 20 लाख मरीजों को आकर्षित करता है। विदेश मंत्रालय (MEA) के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में जहां 3.75 लाख मेडिकल वीज़ा जारी हुए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 4.63 लाख हो गई। उल्लेखनीय बात यह है कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारत ने 1.52 लाख मेडिकल वीज़ा जारी किए थे, जो इस सेक्टर की मजबूती और स्थिरता को दर्शाता है।
*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर