वेकफिट (Wakefit) के IPO ने मैट्रेस सेक्टर को चर्चा में ला दिया है। यह एक ऐसा सेक्टर है, जिस पर पहले बहुत कम बात होती थी, जबकि इसकी अहमियत लगातार बढ़ रही थी। भारतीय मैट्रेस इंडस्ट्री पहले एक अनऑर्गनाइज्ड मार्केट था, जहां ज्यादातर बेसिक कॉटन और कोयर प्रोडक्ट्स बिकते थे। अब यह इंडस्ट्री बदलकर एक ज्यादा स्ट्रक्चर्ड और इनोवेशन-ड्रिवन स्पेस बन गई है, जहां फोम, हाइब्रिड और ऑर्थोपेडिक स्लीप सॉल्यूशंस उपलब्ध हैं।
नींद की कमी बढ़ने और हेल्थ अवेयरनेस बढ़ने से लोगों का स्लीप को देखने का नजरिया बदला है। वहीं, ऑर्गनाइज्ड और D2C प्लेयर्स ने एडवांस मैट्रेस को ज्यादा आसानी से उपलब्ध कराया है और पूरे मार्केट में क्वालिटी को स्टैंडर्ड किया है।
आइए इस सेक्टर को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि यह किस तरह के निवेश अवसर पेश करता है।
भारत के मैट्रेस मार्केट की मौजूदा स्थिति
भारत का मैट्रेस मार्केट CY24 में ₹145 से ₹160 बिलियन का है और CY19 से अब तक यह 7-9% CAGR से बढ़ा है। इस ग्रोथ के पीछे स्लीप वेलनेस को लेकर बढ़ती जागरूकता और ब्रांडेड प्रोडक्ट्स की बढ़ती पसंद मुख्य कारण हैं। सालाना बिक्री वॉल्यूम 28 से 32 मिलियन यूनिट्स के बीच आंका गया है, जो मजबूत डोमेस्टिक डिमांड को दिखाता है।
B2C सेगमेंट मार्केट वैल्यू का लगभग 82% हिस्सा रखता है और यह हॉस्पिटैलिटी और हेल्थकेयर जैसे इंस्टीट्यूशनल सेगमेंट्स की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। कॉटन मैट्रेस लगभग 60% शेयर के साथ अभी भी डॉमिनेंट हैं, क्योंकि ये सस्ते होते हैं और tier-2 व छोटे शहरों में इनकी पकड़ मजबूत है।

CY24 में कॉटन मैट्रेस का मार्केट में करीब 60% हिस्सा था, लेकिन CY30 तक इसके घटकर लगभग 49% रहने की उम्मीद है।
फोम मैट्रेस का मार्केट में करीब 23% हिस्सा है और इनकी पॉपुलैरिटी धीरे-धीरे बढ़ रही है। वहीं, GST के बाद कीमतें बढ़ने के कारण कोयर मैट्रेस ने अपना मार्केट शेयर खो दिया है। लैटेक्स, जो अक्सर हाइब्रिड डिज़ाइन्स में इस्तेमाल होता है, बेहतर कम्फर्ट और ड्यूरेबिलिटी के कारण सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेगमेंट है।
ब्रांडेड और डिजिटल-फर्स्ट मैट्रेस प्लेयर्स का उभार
भारत की मैट्रेस इंडस्ट्री अब ज्यादा ऑर्गनाइज्ड हो रही है। ब्रांडेड प्लेयर्स बेहतर प्रोडक्ट क्वालिटी, इनोवेशन और मजबूत रिटेल व डिजिटल रीच के जरिए अपनी मौजूदगी बढ़ा रहे हैं। ऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स का शेयर CY19 में करीब 20% था, जो CY24 में बढ़कर लगभग 30% हो गया है और CY30 तक इसके 45% तक पहुंचने की उम्मीद है।
अब कंज्यूमर्स ज्यादा सस्टेनेबल, वारंटी-बैक्ड मैट्रेस को प्राथमिकता दे रहे हैं। बेहतर सप्लाई चेन के चलते ब्रांडेड प्रोडक्ट्स पहले के मुकाबले ज्यादा अफोर्डेबल और आसानी से उपलब्ध हो गए हैं।

ऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स, ऑनलाइन ब्रांड्स सहित, मार्केट में लगभग 30% हिस्सा है, जबकि अनऑर्गनाइज्ड सेगमेंट CY24 में करीब 70% हिस्सेदारी के साथ अभी भी मार्केट पर हावी है।
डिजिटल चैनल्स भी इस बदलाव को सपोर्ट कर रहे हैं। ऑनलाइन सेल्स CY19 में मार्केट वैल्यू का लगभग 4% थीं, जो CY24 में बढ़कर करीब 8% हो गई हैं और CY30 तक इनके लगभग 13% तक पहुंचने का अनुमान है। D2C ब्रांड्स, जो रोल-पैक मैट्रेस, आसान डिलीवरी और फ्लेक्सिबल ट्रायल व रिटर्न ऑप्शंस देते हैं, उन्होंने ऑनलाइन खरीदारी पर भरोसा बढ़ाया है, खासतौर पर मिड-रेंज और प्रीमियम सेगमेंट में।
इसके बावजूद ऑफलाइन रिटेल अभी भी हावी है, क्योंकि कई खरीदार कम्फर्ट और फिट को लेकर इन-स्टोर टेस्ट करना पसंद करते हैं। आगे चलकर, मजबूत ऑफलाइन मौजूदगी और बढ़ते ऑनलाइन चैनल्स का कॉम्बिनेशन ऑर्गनाइज्ड मैट्रेस प्लेयर्स की ग्रोथ को आगे बढ़ाएगा।
भारतीय मैट्रेस मार्केट के ग्रोथ ट्रिगर्स
बढ़ती जागरूकता: लोग अब यह समझने लगे हैं कि अच्छी नींद का ओवरऑल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है। इससे ऐसे मैट्रेस की मांग बढ़ रही है जो बेहतर सपोर्ट दें और बैक पेन जैसी समस्याओं को कम करें।
डिस्पोजेबल इनकम में बढ़ोतरी: खासकर शहरी इलाकों में इनकम बढ़ने से लोग अब बेहतर क्वालिटी और प्रीमियम प्रोडक्ट्स पर ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं।
अर्बनाइजेशन और रियल एस्टेट ग्रोथ: शहरों का विस्तार और होमओनरशिप बढ़ने से नए घरों में मैट्रेस और अन्य फर्निशिंग की मांग बढ़ रही है।
ई-कॉमर्स और D2C ब्रांड्स का विस्तार: ऑनलाइन सेल्स और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर मॉडल ने मैट्रेस खरीदना आसान बना दिया है, जैसे होम डिलीवरी, ट्रायल पीरियड और आसान रिटर्न, जिससे मार्केट की पहुंच बढ़ी है।
प्रोडक्ट इनोवेशन: मार्केट अब पारंपरिक कॉटन और कोयर से हटकर फोम, लैटेक्स और हाइब्रिड मैट्रेस की ओर बढ़ रहा है, जो बेहतर कम्फर्ट और परफॉर्मेंस देते हैं।
प्रीमियमाइजेशन: लाइफस्टाइल में बदलाव, हेल्थ फोकस और एडवांस फीचर्स वाले स्पेशलाइज्ड प्रोडक्ट्स के कारण प्रीमियम और लग्जरी मैट्रेस की मांग बढ़ रही है। यह सेगमेंट 15–20% CAGR से बढ़ने की उम्मीद है।
इंस्टीट्यूशनल यूसेज: होटल्स, हॉस्पिटैलिटी चेन, को-लिविंग स्पेसेस और कॉर्पोरेट अकॉमोडेशन तेजी से क्वालिटी मैट्रेस की खरीद कर रहे हैं।
भारत के मैट्रेस मार्केट की चुनौतियां
हाई ऑपरेशनल और लॉजिस्टिक्स कॉस्ट: मैट्रेस भारी होते हैं, जिससे ट्रांसपोर्टेशन और वेयरहाउसिंग का खर्च ज्यादा होता है। कमजोर लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के कारण छोटे शहरों में विस्तार मुश्किल हो जाता है।
तेज प्रतिस्पर्धा और फ्रैगमेंटेड मार्केट: कई लोकल और ऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स की मौजूदगी से प्राइस वॉर होती है, जिससे मार्जिन पर दबाव पड़ता है।
रॉ मटेरियल की कीमतों में उतार-चढ़ाव: फोम, लैटेक्स और फैब्रिक जैसी चीजों की कीमतें अक्सर बदलती रहती हैं, जिससे या तो कीमत बढ़ानी पड़ती है या मार्जिन घटता है।
कंज्यूमर प्रेफरेंस में बदलाव: जो ब्रांड्स स्लीप वेलनेस, हाइब्रिड मटेरियल और प्रीमियम फीचर्स के हिसाब से खुद को अपडेट नहीं करते, वे पीछे रह सकते हैं।
प्राइस सेंसिटिविटी: खासकर ग्रामीण और सेमी-अर्बन इलाकों में ग्राहक कीमत को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं, जिससे प्रीमियम प्रोडक्ट्स की ग्रोथ सीमित रहती है।
अनऑर्गनाइज्ड प्लेयर्स का दबदबा: अनब्रांडेड लोकल मैन्युफैक्चरर्स अभी भी करीब 70% मार्केट शेयर रखते हैं, जिससे ऑर्गनाइज्ड ब्रांड्स के लिए क्वालिटी और प्राइस को कंट्रोल करना मुश्किल होता है।
वॉचलिस्ट में रखने योग्य स्टॉक्स
भारतीय मैट्रेस मार्केट के ऑर्गनाइज्ड सेगमेंट में कुछ बड़े प्लेयर्स शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। शीला फोम लिमिटेड लंबे समय से लिस्टेड है, जबकि वेकफिट इनोवेशन लिमिटेड ने 15 दिसंबर को फ्लैट लिस्टिंग के साथ डेब्यू किया। पिछले एक साल में शीला फोम के शेयर्स ने नेगेटिव रिटर्न दिया है।
ऑर्गनाइज्ड मार्केट के अन्य बड़े प्लेयर्स, जो प्राइवेट हैं, उनमें ड्यूरोफ्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड, पेप्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और कम्फर्ट ग्रिड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
शीला फोम और ड्यूरोफ्लेक्स के साथ, वेकफिट इनोवेशन लिमिटेड FY24 में रेवेन्यू के आधार पर टॉप तीन ऑर्गनाइज्ड मैट्रेस कंपनियों में शामिल है।
भारत के मैट्रेस मार्केट का फ्यूचर आउटलुक
भारत का मैट्रेस मार्केट 10-12% CAGR से बढ़ने की उम्मीद है और CY30 तक ₹270 से ₹300 बिलियन तक पहुंच सकता है। फिलहाल टॉप आठ मेट्रो शहर लगभग 44% मार्केट वैल्यू में योगदान देते हैं, लेकिन सबसे तेज़ ग्रोथ टियर-2 और छोटे शहरों से आने की उम्मीद है, जहां 11-13% CAGR का अनुमान है।
होम और फर्निशिंग्स स्पेस में मैट्रेस का हिस्सा कुल मार्केट वैल्यू का लगभग 5% है। भारत का होम और फर्निशिंग्स मार्केट CY24 में ₹2.8 से ₹3.0 ट्रिलियन का है, जो CY30 तक बढ़कर ₹5.2 से ₹5.9 ट्रिलियन तक पहुंच सकता है। भारत में प्रति व्यक्ति होम और फर्निशिंग्स पर खर्च सिर्फ $24–$25 है, जो US, UK और चीन की तुलना में काफी कम है। यह लॉन्ग-टर्म ग्रोथ की बड़ी संभावना को दिखाता है।
जैसे-जैसे लोगों की आकांक्षाएं बढ़ेंगी और खरीदने की क्षमता सुधरेगी, वैसे-वैसे मैट्रेस समेत क्वालिटी होम प्रोडक्ट्स पर खर्च भी बढ़ने की उम्मीद है।
*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
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