भारत का प्राइमरी मार्केट एक नए फेज में प्रवेश करता दिख रहा है। जहां पिछले कुछ वर्षों में टेक, फाइनेंशियल और कंज्यूमर सेक्टर की कंपनियों ने IPO मार्केट पर दबदबा बनाए रखा, वहीं अब हॉस्पिटल्स और IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) चेन तेजी से निवेशकों का ध्यान खींच रही हैं।
हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के IPOs की संख्या और वैल्यू, दोनों में आने वाले समय में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। हॉस्पिटल नेटवर्क्स और IVF चेन का बढ़ता फोकस इस बात का संकेत है कि हेल्थकेयर अब केवल एक डिफेंसिव सेक्टर नहीं रहा, बल्कि एक मजबूत और स्ट्रक्चरल ग्रोथ स्टोरी के रूप में उभर रहा है।
आइए समझते हैं 2026 में IPO की दुनियां में हेल्थकेयर सेक्टर की क्या भूमिका रहेगी, और यह निवेशकों के लिए अहम है।
क्या है मामला?
भारत में हॉस्पिटल्स और IVF क्लीनिक चेन का IPO मार्केट की ओर रुख कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में हेल्थकेयर सेक्टर ने स्थिर और मजबूत ग्रोथ दिखाई है, जिसके चलते अब बड़ी संख्या में कंपनियां पब्लिक मार्केट से पूंजी जुटाने की तैयारी में हैं।
अनुमान है कि 2026 के अंत तक हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े IPOs की कुल वैल्यू लगभग ₹20,000 करोड़ तक पहुंच सकती है, जिसमें हॉस्पिटल नेटवर्क्स और IVF चेन की भूमिका अहम होगी। निवेश बैंकर्स के अनुसार, हॉस्पिटल सेक्टर में मरीजों की संख्या बढ़ रही है, मार्जिन सुधर रहे हैं और कंसॉलिडेशन तेज हुआ है। इससे निवेशकों को कमाई को लेकर बेहतर स्पष्टता मिलती है और अनुकूल वैल्यूएशन प्रमोटर्स को IPO लाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
क्यों IPO की ओर बढ़ रहे हैं हॉस्पिटल और IVF प्लेयर्स?
हेल्थकेयर और IVF कंपनियों के IPO की ओर बढ़ने की सबसे बड़ी वजह उनके मजबूत फंडामेंटल्स हैं। मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी, बेहतर मार्जिन और कमाई की साफ़ विज़िबिलिटी ने इन कंपनियों को निवेशकों के लिए आकर्षक बनाया है।
दूसरा अहम कारण ग्रोथ के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत है। नए अस्पताल, IVF सेंटर, बेड कैपेसिटी बढ़ाने और टेक्नोलॉजी में निवेश के लिए पब्लिक मार्केट से फंड जुटाना आसान और प्रभावी रास्ता बन रहा है। साथ ही, भारत में हेल्थकेयर सर्विसेज की कम पहुंच भी इस ट्रेंड को तेज कर रही है। हेल्थकेयर पर खर्च GDP का करीब 3% ही है और स्पेशल्टी सर्विसेज़ की भारी कमी है, जिससे इस सेक्टर के लिए लंबी ग्रोथ की संभावनाएं बनती हैं।
IVF सेगमेंट में इनफर्टिलिटी मामलों के बढ़ने और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की बढ़ती स्वीकार्यता ने ऑर्गनाइज़्ड IVF चेन को स्केल करने लायक बना दिया है। इसी वजह से ये कंपनियां अब खुद को पब्लिक लिस्टिंग के लिए तैयार मान रही हैं। इसके साथ ही, प्राइवेट इक्विटी निवेशकों के लिए IPO एक स्ट्रैटेजिक एग्ज़िट का रास्ता देता है, जबकि कंपनियों को विस्तार और कर्ज घटाने के लिए नई पूंजी मिलती है।
हेल्थकेयर सेक्टर में IPO की तेज होती हलचल
2026 में हेल्थकेयर सेक्टर से IPO की गतिविधियां और तेज होने की उम्मीद है। देश की दूसरी सबसे बड़ी हॉस्पिटल चेन मणिपाल हॉस्पिटल्स करीब ₹8,500-9,000 करोड़ के IPO की तैयारी में है, जो इस क्षेत्र के सबसे बड़े पब्लिक इश्यू में शामिल हो सकता है। वहीं, दक्षिण भारत की कावेरी हॉस्पिटल (Kauvery Hospital) भी मार्केट से ₹1,500 करोड़ से अधिक जुटाने की योजना बना रही है।
इसके साथ ही, एशिया हेल्थकेयर होल्डिंग्स, इंडिरा IVF और क्लाउडनाइन जैसे नाम भी IPO की कतार में हैं। इंडिरा IVF ने जुलाई 2025 में करीब ₹3,500 करोड़ के इश्यू के लिए गोपनीय रूप से DRHP दोबारा दाखिल किया, जबकि मैटरनिटी और चाइल्ड-केयर सेगमेंट की क्लाउडनाइन ₹1,000 करोड़ से अधिक जुटाने की तैयारी में है। पारस हॉस्पिटल्स और यशोदा हॉस्पिटल्स के संभावित इश्यू मिलकर यह संकेत देते हैं कि आने वाले समय में हेल्थकेयर IPO निवेशकों के लिए एक बड़ा और अहम अवसर बन सकता है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
निवेशकों के नजरिए से हॉस्पिटल और IVF IPOs एक लॉन्ग-टर्म स्ट्रक्चरल ग्रोथ थीम को दर्शाते हैं। हेल्थकेयर एक ऐसा सेक्टर है जहां डिमांड अपेक्षाकृत स्थिर रहती है और बिजनेस की विजिबिलिटी लॉन्गटर्म की होती है।
हालांकि, निवेशकों को यह भी ध्यान में रखना होगा कि हेल्थकेयर IPOs अक्सर प्रीमियम वैल्यूएशन पर आते हैं। ऐसे में केवल सेक्टर की कहानी देखकर निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। बिजनेस मॉडल, एक्सपेंशन स्ट्रैटेजी, कैपिटल के इस्तेमाल की योजना और बैलेंस शीट की स्थिति को समझना बेहद जरूरी होगा।
IPO की बढ़ती भीड़ में वही कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी जिनका एग्जीक्यूशन ट्रैक रिकॉर्ड मजबूत होगा और जो ग्रोथ के साथ-साथ फाइनेंशियल डिसिप्लिन भी दिखा पाएंगी।
भविष्य की बातें
आने वाले वर्षों में भारत का हेल्थकेयर IPO स्पेस और ज्यादा एक्टिव होने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2026 के लिए भारत का IPO पाइपलाइन रिकॉर्ड ₹2 लाख करोड़ के आसपास है, जिसमें हॉस्पिटल और IVF कंपनियों की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। यह दिखाता है कि प्राइमरी मार्केट में हेल्थकेयर सेक्टर की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम होने जा रही है।
हॉस्पिटल और IVF चेन का IPO मार्केट में आना इस बात का संकेत है कि सेक्टर अब अगले ग्रोथ फेज में प्रवेश कर रहा है। हालांकि, इतनी बड़ी IPO पाइपलाइन के बीच निवेशकों के लिए सेलेक्टिव रहना पहले से ज्यादा जरूरी हो जाएगा। आने वाला दौर अवसरों से भरा जरूर है, लेकिन इसमें वही निवेशक बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे जो उत्साह के साथ-साथ विवेक भी बनाए रखेंगे।
*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर