नवंबर 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर मार्केट के लिए एक ऐतिहासिक महीना साबित हुआ है। हाल ही में जारी किए गए GDP आंकड़ों ने न केवल मार्केट के जानकारों को चौंकाया है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर भी पेश की है। जहाँ एक तरफ GDP की वृद्धि दर उम्मीदों से कहीं बेहतर रही है, वहीं दूसरी तरफ इसने निवेशकों के मन में ब्याज दरों में कटौती को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
शेयर मार्केट, विशेषकर निफ्टी और सेंसेक्स, अपने रिकॉर्ड स्तर पर ट्रेड कर रहे हैं। हालांकि, इस तेजी के बीच एक सवाल जो हर निवेशक के दिमाग में घूम रहा है, वह यह है कि क्या यह जबरदस्त आर्थिक ग्रोथ वाकई पूरी तरह से अच्छी खबर है, या फिर यह एक दो धारी तलवार साबित हो सकता है? इस आर्टिकल में हम इसी समीकरण को समझने की कोशिश करेंगे।
क्या है मामला?
आकड़ो के अनुसार, Q2 FY26 में भारत की GDP ग्रोथ रेट 8.2% रही है। यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि अर्थशास्त्रियों और एनालिस्ट ने इसके 7.2% रहने का अनुमान लगाया था। यहाँ तक कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का अपना अनुमान भी 7% का था।
इस ग्रोथ की तुलना अगर हम पिछले आंकड़ों से करें, तो यह तस्वीर और भी स्पष्ट होती है। Q1 FY26 में GDP की वृद्धि दर 7.8% थी, जो कि पांच तिमाहियों का उच्च स्तर था। वहीं, पिछले साल इसी तिमाही (Q2 FY25) में यह दर केवल 5.6% थी। 8.2% की यह छलांग पिछले छह तिमाहियों में सबसे अधिक है। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल पटरी पर है, बल्कि ग्लोबल अनिश्चितताओं के बावजूद तेजी से दौड़ रही है।
सेक्टर्स का प्रदर्शन
इस शानदार ग्रोथ के पीछे किसी एक सेक्टर का हाथ नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक सुधार है। आंकड़ों पर नजर डालें तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर इस पूरी कहानी का मुख्य नायक बनकर उभरा है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.1% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है, जो इंडस्ट्रियल गतिविधियों में आई तेजी का संकेत है।
इसके अलावा, निवेश गतिविधियों को दर्शाने वाला ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF) 7.3% की दर से बढ़ा है। यह बताता है कि देश में इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजनेस विस्तार पर खर्च बढ़ रहा है। वहीं, प्राइवेट कंजम्पशन में 7.9% की बढ़ोतरी देखी गई है, जो यह साबित करता है कि डिमांड में भी सुधार हुआ है।
विशेष रूप से कुछ इंडस्ट्रीज ने असाधारण प्रदर्शन किया है:
- इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट की मैन्युफैक्चरिंग में 28.7% का भारी उछाल आया है।
- मोटर वाहन, ट्रेलर और सेमी-ट्रेलर की मैन्युफैक्चरिंग में 14.6% की वृद्धि हुई है।
- बेसिक मेटल्स का उत्पादन 12.3% बढ़ा है।
इन आंकड़ों से यह साफ है कि डोमेस्टिक डिमांड और उत्पादन क्षमता दोनों ही मजबूत स्थिति में हैं।
GDP तेज़, कमाई धीमी – असंतुलन की कहानी
डिफ्लेटर इफ़ेक्ट: इस तिमाही में GDP डिफ्लेटर बहुत कम रहा, जिसका मतलब है कि रियल ग्रोथ तो ऊँची दिखी, लेकिन नॉमिनल GDP उतनी तेज़ नहीं बढ़ी। उत्पादन बढ़ने के बावजूद, प्राइसिंग पावर कमजोर रही, जिससे टॉपलाइन ग्रोथ और EBITDA विस्तार दोनों दबे हुए दिखे। मार्केट के लिए यही सबसे बड़ा संकेत है कि GDP चमकदार है, पर कमाई उतनी दमदार नहीं।
रेट कट में देरी: मजबूत GDP ने RBI की 5 दिसंबर वाली बैठक को और पेचीदा बना दिया है। मार्केट उम्मीद कर रहा था कि रेट कट्स की शुरुआत होगी, लेकिन इतनी तेज़ ग्रोथ के बीच RBI नरम नीति अपनाए तो विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है। लिक्विडिटी ईज़िंग भी आगे जाकर मुश्किल हो सकती है, और कोर इन्फ्लेशन के फिर बढ़ने का जोखिम भी रहता है। इसका सीधा असर बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट जैसे रेट-सेंसिटिव सेक्टर्स पर पड़ता है यानी तेज़ GDP ने ही रेट-कट की दूरी बढ़ा दी।
टैक्स ग्रोथ धीमी: ग्रोथ हाई है, लेकिन टैक्स कलेक्शन उम्मीद से धीमा रहा है। FY26 में 10 नवंबर तक नेट डायरेक्ट टैक्स सिर्फ 7% बढ़े, जबकि GST रिफंड-एडजस्टेड ग्रोथ केवल 0.2% रही। मतलब उत्पादन बढ़ा, पर लाभ, आय और कंजम्पशन उसी गति से नहीं बढ़ी।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
शेयर मार्केट के निवेशकों के लिए यह स्थिति मिश्रित संकेत दे रही है। एक तरफ मजबूत आर्थिक आंकड़ों के दम पर निफ्टी ने 26,300 के स्तर को पार कर लिया है और सेंसेक्स भी नई ऊंचाइयों पर है, हालांकि बुल रन सस्टेन नहीं कर पाया और और दिसंबर 01, 2025 को मार्केट में ऑल टाइम हाई से थोड़ी गिरावट देखने को मिली। जो दिखाता है कि GDP की ग्रोथ तेज़ है, पर स्थिरता अभी परखी जानी बाकी है।
भविष्य की बातें
रियल GDP तेज दौड़ रही है लेकिन नॉमिनल ग्रोथ, टैक्स रेवेन्यू और रेट-कट की गुंजाइश उतनी मजबूत नहीं। शेयर मार्केट आँकड़ों की चमक नहीं, बल्कि अर्निंग्स, लिक्विडिटी और नीति दिशा से चलता है। इसलिए GDP के रिकार्ड आंकड़ों के बावजूद दलाल स्ट्रीट उतना उत्साहित नहीं दिख रहा है। इस तिमाही में कौन-सा सेक्टर प्रॉफिट बढ़ाता है और कौन दबाव झेलता है मार्केट फिलहाल इसी पर दांव लगा रहा है, क्योंकि समग्र ग्रोथ की चमक के पीछे सेक्टोरल अंतर काफी गहरा है।
निवेशकों के सामने अब असली सवाल हैं कि अगर नॉमिनल GDP कमजोर रही तो प्रॉफिट कैसे बढ़ेंगे? मजबूत ग्रोथ के बीच RBI रेट कम करेगा या नीति सख्त ही रहेगी? टैक्स रेवेन्यू GDP के साथ क्यों नहीं चल पा रहा? क्या यह उछाल कैपेक्स-चालित है, पर अर्निंग्स-चालित नहीं? इनका जवाब अब Q3 (अक्टूबर–दिसंबर) डाटा में मिलेगा, जहाँ GST कटौती का पूरा असर, त्योहारी डिमांड और US टैरिफ के प्रभाव मार्केट की अगली चाल तय करेंगे।
*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
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