साल 2025 में गोल्ड ने निवेशकों को आश्चर्यचकित कर दिया है, प्राइस लगातार नई रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छू रही हैं। यह अभूतपूर्व तेजी जहां कुछ निवेशकों के लिए जश्न का मौका है, वहीं कई लोगों के मन में यह सवाल भी पैदा कर रही है कि क्या इस स्तर पर गोल्ड में निवेश करना समझदारी है। क्या गोल्ड अभी भी अनिश्चितता के खिलाफ एक हेज है, या इसमें तेजी का सिलसिला अब गिरावट में बदलने वाला है?
इस आर्टिकल में, गोल्ड की इस शानदार तेजी, निवेशकों का ट्रेंड और भविष्य की संभावनाओं को समझने की कोशिश करेंगे, ताकि आप एक उचित निर्णय ले सकें।
क्या है मामला?
गोल्ड की प्राइस में यह उछाल केवल अंतरराष्ट्रीय मार्केट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर भारतीय मार्केट्स पर भी स्पष्ट रूप से दिख रहा है। अक्टूबर 8, 2025 को भारतीय मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर, गोल्ड की प्राइस ने पहली बार ₹1,22,000 प्रति 10 ग्राम के साइकोलॉजिकल स्तर को पार किया और ₹1,23,080 प्रति 10 ग्राम का एक नया ऑल टाइम हाई स्तर बनाया। यह डोमेस्टिक मार्केट में एक ऐतिहासिक क्षण है, जो गोल्ड की डिमांड की मजबूती को दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तस्वीर कुछ ऐसी ही है। गोल्ड की प्राइस $4,000 प्रति औंस के स्तर पर पहुंच गया है। यह तेजी कितनी तेज है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अप्रैल 1, 2025 को $3,000 के स्तर से गोल्ड ने लगभग 210 दिनों में $1,000 की छलांग लगाई है।
गोल्ड ETF में रिकॉर्ड निवेश
2025 में गोल्ड ETFs ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, इस साल भारत में गोल्ड ETFs में अब तक $2.18 बिलियन का इनफ्लो दर्ज किया गया है जो इतिहास का सबसे ऊँचा स्तर है। पिछले वर्षों से तुलना करें तो यह उछाल बेहद प्रभावशाली है: 2024 में इनफ्लो $1.28 बिलियन था, जबकि 2023 में यह $295.3 मिलियन और 2022 में मात्र $26.8 मिलियन रहा था।

सिर्फ सितंबर 2025 में ही भारतीय गोल्ड ETFs में $902 मिलियन का नेट इनफ्लो हुआ, जो अगस्त के $232 मिलियन की तुलना में 285% की तेज़ बढ़त है। वर्तमान में भारत में 21 गोल्ड ETFs सक्रिय हैं, जो मिलकर ₹72,495 करोड़ के एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) को संभाल रहे हैं।
गोल्ड ETFs में बढ़ता निवेश इस बात का संकेत है कि निवेशक अब गोल्ड को न केवल एक सुरक्षित हेज बल्कि एक स्थिर व लॉन्गटर्म रिटर्न देने वाले विकल्प के रूप में भी देख रहे हैं।
दिवाली पर गोल्ड खरीदें या स्टॉक्स
दिवाली के त्योहारी सीजन में निवेशकों के सामने एक सवाल है – गोल्ड खरीदें या स्टॉक्स में निवेश करें? पिछले एक साल में गोल्ड ने लगभग 50% रिटर्न दिया है, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स लगभग फ्लैट रहा है। भारत में गोल्ड ETFs जैसे GOLDBEES ने एक साल में लगभग 55% रिटर्न जेनरेट किया है, जिससे गोल्ड 2025 की सबसे बेहतर परफॉर्मिंग एसेट क्लास बनी है।
हालांकि, लॉन्ग टर्म के नजरिए से देखें तो तस्वीर बदल जाती है। पिछले 10-15 साल में निफ्टी 50 ETFs ने 12-15% का CAGR दिया है, जबकि गोल्ड का लॉन्ग टर्म CAGR 8-9% के आसपास रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, कंपनियां अर्निंग्स बढ़ाती हैं, डिविडेंड देती हैं और भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था से लाभ उठाती हैं, जबकि गोल्ड केवल अनिश्चितता के दौरान वैल्यू प्रिजर्व करता है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
गोल्ड की रैली सितंबर में भी जारी रही, जब इसने 2025 में अपना 39वां ऑल-टाइम हाई छुआ। निवेशक ग्लोबल पॉलिटिकल अनिश्चितता और कमजोर अमेरिकी डॉलर के बीच सेफ-हेवन एसेट्स की ओर बढ़े। सिर्फ सितंबर में ही गोल्ड ने 13 नए रिकॉर्ड स्तर बनाए और यह तेजी अक्टूबर में भी जारी है।
मिंट के अनुसार, Augmont की हेड ऑफ रिसर्च रेणिशा चैनानी का कहना है कि यह समय न तो आक्रामक रूप से कीमतों का पीछा करने का है और न ही पूरी तरह से मुनाफा वसूली का। उनके अनुसार, निवेशकों को स्टैगर्ड (Staggered) इन्वेस्टमेंट एप्रोच अपनानी चाहिए यानी गोल्ड ETFs या डिजिटल गोल्ड में SIP के जरिए गिरावट पर धीरे-धीरे निवेश करना अधिक उपयुक्त रहेगा।
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए, गोल्ड में बने रहना समझदारी है क्योंकि यह अब भी ग्लोबल अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ती महंगाई के खिलाफ एक मजबूत हेज (Hedge) बना हुआ है।
भविष्य की बातें
पिछले 20 सालों में सिर्फ चार बार ही गोल्ड की प्राइस में गिरावट दर्ज हुई है, वह भी सिंगल डिजिट तक सीमित रही, जिससे यह लंबे समय में भरोसेमंद एसेट साबित हुआ है।
गोल्डमैन सैक्स का अनुमान है कि यदि US फेडरल रिज़र्व ब्याज़ दरों में कटौती करता है, तो निवेशकों का रुख गोल्ड की ओर बढ़ेगा और प्राइस में और तेजी आ सकती है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि फिलहाल गोल्ड टेक्निकली ओवरबॉट है, जिससे निकट अवधि में सीमित बढ़त संभव है। फिर भी, MCX गोल्ड के लिए साल के अंत तक ₹1,25,000–₹1,28,000 प्रति 10 ग्राम का टारगेट रखा गया है।
साथ ही, अगर अक्टूबर में इक्विटी मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ी और डॉलर कमजोर हुआ, तो यह गोल्ड की अगली रैली का प्रमुख ट्रिगर बन सकता है।
*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर