जब आप किसी कंपनी में शेयर खरीदने का फैसला लेते हैं तो आप न केवल उनके बढ़ने की क्षमता में निवेश कर रहे होते हैं बल्कि उस बिजनेस के सह-मालिक भी बन जाते हैं।

जबकि कई निवेशक अपने निवेश से लाभ कमाने के साधन के रूप में कैपिटल एप्रिसिएशन के विचार पर फोकस करते हैं। वहीं कंपनियां एक अलग दृष्टिकोण से सोचती हैं। उनके लिए आप सिर्फ शेयरधारक नहीं बल्कि उनकी सफलता में भागीदार हैं। और इसलिए कंपनियां एक शेयरधारक के रूप में आपकी संतुष्टि सुनिश्चित करने के लिए प्राइस एप्रिसिएशन से परे भी कई उपायों का उपयोग करती हैं। हम जिन तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं वे मुख्य रूप से डिविडेंड और बायबैक हैं।

आइए जानते हैं कि कंपनियां कैसे और क्यों डिविडेंड देती हैं और अपने शेयर बायबैक क्यों करती हैं। साथ ही जानेंगे कि यह शेयर की कीमतों को कैसे प्रभावित करता है।

डिविडेंड

लाभांश (डिविडेंड) वे स्पेशल रिवार्ड हैं जो कोई कंपनी अपने शेयरधारकों को अपने प्रॉफिट से देती है। जब कंपनी मुनाफा कमाती है तो वह या तो इसे ग्रोथ के लिए बिजनेस में फिर से निवेश करती है या अपने शेयरधारकों के साथ प्रॉफिट वितरित करती है। कुछ कंपनियां थोड़ा-थोड़ा दोनों काम करती हैं। शेयरधारकों के साथ प्रॉफिट की इस शेयरिंग को हम डिविडेंड कहते हैं।

डिविडेंड को अक्सर पेसिव इनकम सोर्स के रूप में देखा जाता है। इसलिए निवेशक ऐसे शेयरों में निवेश करना पसंद करते हैं।

डिविडेंड की प्रक्रिया

कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर अंतरिम डिविडेंड (तिमाही परिणामों के दौरान लाभांश की घोषणा) या फाइनल डिविडेंड (फाइनेंशियल ईयर के लिए लाभांश की घोषणा) की घोषणा करने के बाद वे लाभांश राशि और भुगतान की तारीख की जानकारी देते हुए स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित करते हैं।

यदि आप ऐसे स्टॉक के मालिक होने में रुचि रखते हैं जो डिविडेंड देता है, तो याद रखने योग्य कई महत्वपूर्ण तारीख हैं।

1. रिकॉर्ड डेट: इस दिन कंपनी अपने रिकॉर्ड की जांच करती है कि आधिकारिक शेयरधारक कौन-कौन हैं। यदि आप इस दिन तक शेयर रखते हैं तो आपको डिविडेंड मिलेगा।

2. एक्स-डिविडेंड डेट: यह वह दिन है जब कंपनी के शेयर अपकमिंग डिविडेंड की वैल्यू के बिना ट्रेड करना शुरू करते हैं। यदि आप इस तारीख को या उसके बाद शेयर खरीदते हैं तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा।

3. पेमेंट डेट: यह वह दिन है जब कंपनी डिविडेंड के लिए एलिजिबल शेयरधारकों को पैसा देती है।

अब, यह अक्सर देखा जाता है कि एक्स-डिविडेंड डेट के बाद शेयर की कीमत गिर जाती है। लेकिन क्यों?

शेयर प्राइस पर डिविडेंड का प्रभाव

एक्स-डिविडेंड डेट पर कंपनी के स्टॉक की कीमत आमतौर पर डिविडेंड के बराबर ही कम हो जाती है। यह अजीब लग सकता है, लेकिन यह समझ भी आता है। यदि आप एक्स डेट पर या उसके बाद शेयर खरीदते हैं तो आपको डिविडेंड नहीं मिलेगा। इसलिए, वे शेयर उन लोगों के लिए थोड़े कम आकर्षक होते हैं जो उस डेट के बाद इन शेयर को खरीदते हैं।

याद रखें कि डिविडेंड किसी शेयरहोल्डर के लिए रिवार्ड की तरह है और एक्स डिविडेंड डेट के बाद कीमत में गिरावट बाजार में चीजों को बैलेंस करने का एक तरीका है।

शेयर बायबैक

शेयर बायबैक या स्टॉक रिपरचेस तब होता है जब कोई कंपनी शेयर बाजार से अपने ही शेयर खरीदने के लिए अपने पैसे का उपयोग करती है। यह भी एक तरीका है जिसके माध्यम से कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को रिवार्ड देती है।

हालांकि, डिविडेंड के विपरीत जहां शेयरधारकों को आम तौर पर ऑटोमैटिक पेमेंट प्राप्त होता है, बायबैक अनिवार्य नहीं है। शेयरधारक अपने फैसले के आधार पर बायबैक में भाग लेना या न लेना चुन सकते हैं।

लेकिन, यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि यदि कंपनी अपने शेयर वापस खरीदेगी तो शेयरधारकों को क्या इनाम मिलेगा? यह समझने के लिए किसी कंपनी द्वारा अपने ही शेयरों को वापस खरीदने के फैसले के पीछे के कारणों को समझना जरूरी है।

1. निवेशकों का विश्वास बढ़ाना: अक्सर, कंपनियां अपने शेयरों को प्रीमियम पर वापस खरीदती हैं। यह दर्शाता है कि कंपनी सोचती है कि उनके शेयरों की वैल्यू मौजूदा वैल्यू से ज्यादा है। यह मौजूदा निवेशकों को कंपनी के फ्यूचर ग्रोथ के बारे में ज्यादा आशावादी बना सकता है।

2. अर्निंग पर शेयर (EPS) में सुधार: शेयर बायबैक किसी कंपनी के EPS को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनका मुनाफा प्रति शेयर के आधार पर ज्यादा हो सकता है। कंपनी का टोटल प्रॉफिट समान रहता है, लेकिन बायबैक के कारण कम शेयर उपलब्ध होते हैं तो प्रति शेयर आय बढ़ जाती है।

3. स्टेक रिस्टोरेशन और कैश यूटिलाइजेशन: यदि कंपनी के प्रमोटर अपना ऑनरशिप प्रतिशत बढ़ाना चाहते हैं तो बायबैक हो सकता है। इसके अलावा, यदि किसी कंपनी के पास एक्स्ट्रा पैसा है, तो वह इसे बेकार रखने के बजाय शेयर बायबैक के लिए उपयोग कर सकती है।

4. शेयरधारकों को पैसा लौटाना: डिविडेंड की तरह शेयर बायबैक भी कंपनियों के लिए अपने शेयरधारकों को पैसा वापस देने का एक तरीका है। डिविडेंड का उपयोग करने के बजाय कंपनी अपने प्रॉफिट का उपयोग अपने शेयरों को वापस खरीदने के लिए करती है। इससे निवेशित रहने वाले शेयरधारकों को लाभ हो सकता है।

शेयर बायबैक शेयर प्राइस को कैसे प्रभावित करता है?

शेयर बायबैक से आम तौर पर बाजार में शेयरों की कम सप्लाई के कारण कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाती है और EPS भी बढ़ जाता है। इस वजह से अक्सर शेयर की कीमत में वृद्धि होती है। हालांकि, प्रभाव की सीमा कंपनी के ओवरऑल फाइनेंशियल हेल्थ पर निर्भर करती है।

कुछ अन्य तरीके जिनसे कंपनियां शेयरधारकों को वैल्यू लौटाती हैं:

स्टॉक स्प्लिट

स्टॉक स्प्लिट तब होता है जब कोई कंपनी मौजूदा शेयरों को कई नए शेयरों में विभाजित करके अपने निवेशकों को ज्यादा शेयर उपलब्ध कराने का फैसला लेती है। उदाहरण के लिए 2-फॉर-1 स्टॉक विभाजन में एक शेयरहोल्डर का हर एक शेयर दो नए शेयरों में बदल जाएगा। इससे शेयर की कीमत कम हो जाती है और उपलब्ध शेयरों की कुल संख्या बढ़ जाती है।

कंपनी के शेयरों को संभावित निवेशकों के लिए ज्यादा आसान और आकर्षक बनाने के लिए अक्सर स्टॉक स्प्लिट होता है। यदि शेयर की कीमत काफी महंगी हो गई है तो यह विशेष रूप से सहायक हो सकता है।

इसके अलावा, स्टॉक स्प्लिट कंपनी के लिए अपने फ्यूचर ग्रोथ में विश्वास व्यक्त करने के एक तरीके के रूप में भी काम कर सकता है।

अब, स्टॉक स्प्लिट के कारण शेयर ज्यादा निवेशकों को आकर्षित कर सकता है और ट्रेडिंग एक्टिविटी को बढ़ावा दे सकता है। इससे कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। दूसरी ओर, स्टॉक स्प्लिट से प्रति शेयर आय (EPS) में कमी आ सकती है, क्योंकि समान आय ज्यादा शेयरों में फैली हुई होती है। इसके अलावा, विभाजन के बाद डिविडेंड यील्ड कम दिखाई दे सकती है।

बोनस शेयर

बोनस शेयर किसी कंपनी की ओर से अपने शेयरधारकों के लिए एक उपहार की तरह होते हैं। ये मौजूदा शेयरधारकों को बिना किसी लागत के बांटे जाने वाले एक्स्ट्रा शेयर होते हैं। कैश देने के बजाय कंपनी अपने निवेशकों को ज्यादा शेयरों का रिवार्ड देती है।

जब कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है, तो यह प्रत्येक निवेशक के पास ऑनरशिप के परसेंटेज को प्रभावित नहीं करता है। उदाहरण के लिए 1-फॉर-1 बोनस शेयर में निवेशक के पास मौजूद प्रत्येक शेयर के लिए उन्हें एक एक्स्ट्रा शेयर प्राप्त होता है। इन्वेस्टमेंट की टोटल वैल्यू अपरिवर्तित रहती है, लेकिन निवेशकों के शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।

निष्कर्ष

ये कुछ तरीके हैं जिनसे कंपनियां अपने शेयरधारकों को मुनाफे का कुछ हिस्सा वापस देती हैं। इसके अलावा कुछ कंपनियां निवेशकों कुछ गिफ्ट और भी देती हैं। उदाहरण के लिए ट्राइडेंट अपने प्रोडक्ट पर स्पेशल डिस्काउंट गिफ्ट वाउचर देता है। वहीं उगर शुगर अपने शेयरधारकों को अपनी वार्षिक रिपोर्ट के साथ 1 किलो चीनी भेजता है। लिस्ट और भी लंबी हो सकती है। ये एडिशनल तरीके हैं जिनसे कंपनियां दिखाती हैं कि उनके शेयरधारक उनके लिए कितने मूल्यवान हैं।

नोट: यह आर्टिकल तेजी मंदी द्वारा मूल रूप से डेक्कन हेराल्ड के लिए लिखा गया था।

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*आर्टिकल केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह निवेश सलाह नहीं है।

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