जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। जवाब में, भारत ने सीमा पार आतंकी कैंप को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक एक सैन्य कार्रवाई की। इससे नागरिकों और निवेशकों के बीच नए सिरे से चिंताएं बढ़ गई हैं, और यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह तनाव और बढ़ सकता है और इसका व्यापक प्रभाव क्या होगा।
ऐसे समय में, राजनीतिक घटनाएं अक्सर मार्केट सेंटीमेंट को प्रभावित करती हैं और अनिश्चितता पैदा करती हैं। निष्कर्ष निकालने से पहले यह समझना जरूरी है कि ऐसी घटनाएं वास्तविक अर्थव्यवस्था, व्यापार और निवेश को कैसे प्रभावित करती हैं।
आइए समझते हैं कि क्या हो रहा है और आगे इसके क्या मायने हो सकते हैं।
क्या है मामला?
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध पहले से ही खराब थे, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहा है। 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद स्थिति और बिगड़ गई, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें 25 भारतीय नागरिक और 1 नेपाली पर्यटक शामिल थे। इस हमले से पूरे देश में गुस्सा फैल गया और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
जवाब में, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए। इनमें सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) को निलंबित करना, वाघा-अटारी बॉर्डर बंद करना, पाकिस्तानी विमानों के लिए भारतीय हवाई क्षेत्र को बंद करना, व्यापार रोकना और अन्य कार्रवाइयां शामिल थीं। इसी बीच, पाकिस्तान ने भी कुछ जवाबी कार्रवाइयां कीं, जो भारत की अर्थव्यवस्था या द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं।
पहलगाम घटना के 14 दिन बाद, भारत ने एक सैन्य हमले के साथ जवाब दिया। 7 मई, 2025 को, भारतीय सशस्त्र बल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों और इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन का मकसद आतंकी कैंप को तबाह करना और साफ संदेश देना था कि भारत अपनी जमीन पर आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेगा।
अटारी बॉर्डर बंद होना – क्या भारत का व्यापार खतरे में है?
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने अटारी में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) बंद कर दिया और 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार रोक दिया। इसमें सोयाबीन, पोल्ट्री फीड, सब्जियां और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स जैसे निर्यात शामिल हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पहले से ही घट रहा था, खासकर 2019 में पुलवामा हमले के बाद। द्विपक्षीय व्यापार 2018-19 में 4,370.78 करोड़ रुपये से गिरकर 2022-23 में 2,257.55 करोड़ रुपये रह गया, हालांकि 2023-24 में यह थोड़ा बढ़कर 3,886.53 करोड़ रुपये हुआ।

इसी दौरान, दोनों देशों के बीच कार्गो आवाजाही भी तेजी से घटी है, और कंसाइनमेंट्स की संख्या 49,102 से गिरकर महज 3,827 रह गई। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, जो पहले से ही महंगाई और सामाजिक अशांति से जूझ रही थी, बॉर्डर बंद होने से और प्रभावित हुई है।
हालांकि, इस बंद होने का पंजाब, खासकर अमृतसर और अटारी के आसपास के इलाकों पर बड़ा असर पड़ा है, जहां कई लोग अपनी आजीविका के लिए क्रॉस-बॉर्डर व्यापार पर निर्भर हैं। प्रमुख निर्यात जैसे स्ट्रॉ रीपर, जो कभी पाकिस्तान के लिए बड़ा आइटम था, में भारी गिरावट आई है – 2019-20 में 1,110 यूनिट से गिरकर महज 100 यूनिट रह गया, जिससे स्थानीय व्यवसायों को भारी नुकसान हुआ।
भारत-पाकिस्तान फ्लाइट सस्पेंशन – किसको ज्यादा नुकसान होगा?
पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइंस के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया, जिससे भारतीय एयरलाइंस के लिए ऑपरेशनल लागत लगभग 307 करोड़ रुपये प्रति माह बढ़ गई। एयर इंडिया ने भी अनुमान लगाया कि अगर हवाई प्रतिबंध पूरे साल तक जारी रहता है, तो उन्हें लगभग 600 मिलियन डॉलर का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।
भारतीय एयरलाइंस को लंबी उड़ान समय और बढ़ी हुई ईंधन खपत के कारण अधिक लागत का सामना करना पड़ा। उदाहरण के लिए, उत्तरी अमेरिका के लिए उड़ानों की लागत 29 लाख रुपये, यूरोप के लिए 22.5 लाख रुपये और मध्य पूर्व के लिए 5 लाख रुपये प्रति उड़ान बढ़ गई, क्योंकि उड़ान का समय 45 मिनट अधिक हो गया। इसके बाद, इंडिगो को हवाई प्रतिबंधों के कारण अल्माटी और ताशकंद के लिए सेवाएं रोकनी पड़ीं।
हालांकि, पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र बंद करने का मकसद भारत को परेशान करना था, लेकिन इसका उल्टा असर हुआ – पाकिस्तान को एविएशन रेवेन्यू के रूप में लाखों डॉलर का नुकसान हुआ। भारतीय उड़ानों के अभाव में, पाकिस्तान को ओवरफ्लाइट फीस से रेवेन्यू नहीं मिला, जिससे उसे भारी वित्तीय नुकसान हुआ।
इसके अलावा, यह पहली बार नहीं था जब पाकिस्तान को ऐसा नुकसान हुआ। 2019 में पुलवामा हमले के बाद, हवाई क्षेत्र बंद होने से लगभग 100 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जिसमें प्रभावित उड़ानों, ओवरफ्लाइट, लैंडिंग और पार्किंग फीस के कारण प्रतिदिन 3,00,000 डॉलर का नुकसान हुआ। हवाई क्षेत्र बंद होने की अवधि में पाकिस्तान को कुल मिलाकर लगभग 100 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जिसमें ओवरफ्लाइट फीस और निलंबित अंतरराष्ट्रीय रूट्स से होने वाली आय दोनों शामिल थीं।
भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार के आंकड़े
भारत-पाकिस्तान व्यापार हमेशा सीमित रहा है, और पहलगाम आतंकी हमले ने इसे पूरी तरह से ठप कर दिया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के अनुसार, दोनों देशों के बीच व्यापार बहुत कम है और यह भारत के कुल व्यापार का महज 0.06% है। अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 के बीच, भारत ने पाकिस्तान को लगभग 447.65 मिलियन डॉलर का माल निर्यात किया, जबकि आयात केवल 0.42 मिलियन डॉलर का था।

हालांकि, मनीकंट्रोल के अनुसार, 2024 में भारत का पाकिस्तान को मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट 5 साल के उच्च स्तर 1.21 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो 2023 के 530.91 मिलियन डॉलर से दोगुना से अधिक है, जो कुल व्यापार में 127.21% की वृद्धि दर्शाता है। वहीं, पाकिस्तान का भारत को निर्यात बेहद कम रहा, जिससे भारत के पक्ष में एक बड़ा व्यापार अधिशेष बना।
दूसरी ओर, पाकिस्तान का भारत को निर्यात तेजी से गिरा है – 2019 में 547.47 मिलियन डॉलर से गिरकर 2024 में महज 0.48 मिलियन डॉलर रह गया। यह भारत के 2019 के फैसले के कारण हुआ, जब पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तानी सामानों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 200% कर दी और पाकिस्तान का ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (MFN) दर्जा वापस ले लिया।
तीसरे देशों के जरिए भारत-पाकिस्तान व्यापार
भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा व्यापार आधिकारिक तौर पर निलंबित होने के बावजूद, पाकिस्तानी सामान की एक बड़ी मात्रा तीसरे देशों के जरिए भारतीय बाजार में आ रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 500 मिलियन डॉलर के सामान को संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सिंगापुर, इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देशों के रास्ते भेजा जा रहा है। ये देश पाकिस्तानी प्रोडक्ट्स को दोबारा पैक और लेबल करके भारत में भेजते हैं, जिससे उनकी उत्पत्ति छुप जाती है।
इस अप्रत्यक्ष व्यापार में शामिल प्रोडक्ट्स में ड्राई फ्रूट्स, खजूर, चमड़ा, टेक्सटाइल, केमिकल्स, सोडा ऐश और रॉक सॉल्ट शामिल हैं। उदाहरण के लिए, फलों और टेक्सटाइल को अक्सर UAE में दोबारा पैक किया जाता है, केमिकल्स सिंगापुर से होकर जाते हैं, और सीमेंट व टेक्सटाइल कच्चा माल इंडोनेशिया के रास्ते भेजा जाता है।
इसके अलावा, श्रीलंका भी ड्राई फ्रूट्स और चमड़े के प्रोडक्ट्स को प्रोसेस करने और डिस्ट्रीब्यूट करने में भूमिका निभाता है, जो साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया (SAFTA) समझौते का फायदा उठाते हैं।
पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के पर्यटन को झटका
पहलगाम हमला सिर्फ पर्यटकों पर हमला नहीं था, बल्कि इसने कश्मीर की अर्थव्यवस्था के दिल पर वार किया। पर्यटन यहां लगभग 2.5 लाख लोगों की आजीविका का स्रोत है और इसका सालाना वैल्यू 12,000 करोड़ रुपये है, जो जम्मू-कश्मीर के ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) में 7% से 8% का योगदान देता है।
यह घटना पर्यटन सीजन (अप्रैल से अक्टूबर) की शुरुआत में हुई है, जिससे हॉस्पिटैलिटी, ट्रांसपोर्ट और हैंडीक्राफ्ट जैसे प्रमुख सेक्टर्स प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा, बेरोजगारी, जो 2019-20 में 6.7% से घटकर 2023-24 में 6.1% हुई थी, फिर से बढ़ सकती है अगर पर्यटन में मंदी जारी रहती है।
कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही थी। 2020 में 34 लाख पर्यटक आए, और यह संख्या साल-दर-साल बढ़कर 2024 में 2.36 करोड़ हो गई, जिसमें 65,000 से अधिक विदेशी पर्यटक शामिल थे।
पर्यटन में वृद्धि के कारण ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी बूम आया, और नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन 2017 के 14.88 लाख से बढ़कर 2024 में 27.29 लाख हो गए। गुलमर्ग, सोनमर्ग, डल झील और पहलगाम जैसे प्रमुख पर्यटन स्थल रेवेन्यू के बड़े स्रोत बन गए थे। लेकिन अब, इस इमर्जिंग इंडस्ट्री का भविष्य गंभीर खतरे में है।
युद्ध के समय मार्केट: निफ्टी 50 बनाम KSE 100

22 अप्रैल, 2025 को भारत के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और बाद में हुई सैन्य कार्रवाई (ऑपरेशन सिंदूर) के प्रति बाजार की प्रतिक्रिया ने भारत और पाकिस्तान में निवेशकों के मूड में बड़ा अंतर दिखाया।
22 अप्रैल 2025 को, निफ्टी 24,167.25 (+0.17%) पर बंद हुआ, जबकि पाकिस्तान का KSE 100 1,18,430.35 (0.04%) पर बंद हुआ। 23 अप्रैल को, वॉलैटिलिटी के बावजूद, निफ्टी हरे निशान (0.67% की बढ़त) के साथ बंद हुआ, जबकि KSE 100 में 1,204.21 पॉइंट्स (1.02%) की गिरावट आई।
पहलगाम हमले के बाद (23 अप्रैल से 6 मई के बीच) निफ्टी में 0.88% की मामूली गिरावट आई, जबकि KSE 100 में लगभग 4.11% की गिरावट दर्ज की गई।

7 मई को, जिस दिन ऑपरेशन सिंदूर की घोषणा हुई, दोनों बाजार गिरे, लेकिन भारतीय बाजार में गिरावट की तीव्रता पाकिस्तान की तुलना में काफी कम थी। निफ्टी दिन के अंत में 0.14% की मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ, जबकि KSE 100 सुबह के सेशन में 5% गिरा और दिन के अंत में 3.13% (3,559.48 पॉइंट्स) की गिरावट के साथ 1,10,009.03 पर बंद हुआ। भारत का बेंचमार्क इंडेक्स, निफ्टी 50, काफी हद तक स्थिर रहा, जो निवेशकों के विश्वास और आर्थिक स्थिरता को दर्शाता है।
22 अप्रैल से, KSE 100 ने कुल 8,421.32 अंक खो दिए हैं, जबकि निफ़्टी ने लगभग 247.15 अंक हासिल किए हैं — यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान में नाजुक निवेशक भावना और भारत की आर्थिक और जिओपॉलिटिकल स्थिरता में मजबूत विश्वास को दर्शाता है।
अतीत में भारत की सैन्य कार्रवाइयों पर बाजार ने कैसी प्रतिक्रिया दी?
भारतीय शेयर बाजार ने अतीत में सैन्य कार्रवाइयों के प्रति अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं, खासकर पाकिस्तान के साथ तनाव के दौरान:

कारगिल युद्ध (1999): दो महीने तक चले संघर्ष के बावजूद, मार्केट में केवल 0.8% की मामूली गिरावट आई।
मुंबई 26/11 हमले (2008): हैरानी की बात यह है कि हमले के दो दिन बाद सेंसेक्स 400 पॉइंट्स और निफ्टी 100 पॉइंट्स ऊपर चला गया।
सर्जिकल स्ट्राइक्स (2016): उरी आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक्स की। इससे मार्केट में तेज प्रतिक्रिया हुई – सेंसेक्स 400 पॉइंट्स से अधिक और निफ्टी 156 पॉइंट्स गिरा।
बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी कैंपों पर हमला किया। इसके बाद सेंसेक्स 239 पॉइंट्स और निफ्टी 44 पॉइंट्स गिरा। हालांकि, अगले दिन दोनों इंडेक्स स्थिर हो गए – सेंसेक्स 165 पॉइंट्स ऊपर खुला और फ्लैट बंद हुआ। इससे पहले पुलवामा आतंकी हमले का बाजार पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा, और इंडेक्स में केवल 0.2% की गिरावट आई।
ये घटनाएं दिखाती हैं कि भारतीय मार्केट ने जिओपॉलिटिकल तनाव के दौरान लचीलापन दिखाया है, जो अक्सर डोमेस्टिक अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण संभव हुआ है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
निवेशकों को अपने लॉन्गटर्म वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि शॉर्टटर्म जिओपॉलिटिकल तनाव पर भावनात्मक प्रतिक्रिया देने पर। ऐतिहासिक रूप से, ऐसी घटनाओं का भारतीय शेयर बाजार पर सीमित और अस्थायी प्रभाव पड़ा है, जैसा कि हमने ऊपर देखा।
अस्थिरता के दौर में, शॉर्टटर्म लाभ के पीछे भागने से बचना चाहिए। इसके बजाय, निवेशकों को मजबूत फंडामेंटल वाली हाई-क्वालिटी स्टॉक्स पर ध्यान देना चाहिए, खासकर उन पर जो हाल के सुधारों के बाद आकर्षक वैल्यूएशन पर उपलब्ध हैं, और देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में विश्वास रखना चाहिए।
इंडिया टुडे के अनुसार, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने कहा, “भारत की जवाबी कार्रवाई से मार्केट प्रभावित होने की संभावना नहीं है, क्योंकि बाजार ने इसे पहले ही डिस्काउंट कर लिया है।”
भविष्य की बातें
भारत ने अपनी जवाबी कार्रवाई पूरी कर ली है। अब सारा ध्यान पाकिस्तान पर है – क्या वह ऑपरेशन सिंदूर को अपनी संप्रभुता के खिला फ एक कार्रवाई मानेगा या आतंकवाद के खिलाफ एक स्ट्राइक? यह अंतर इस क्षेत्र की जिओपॉलिटिकल दिशा तय करेगा।
हालांकि, व्यापार में रुकावटों के सबसे बुरे परिदृश्य में भी, भारत को कोई बड़ा आर्थिक नुकसान होने की संभावना नहीं है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार नगण्य है, और भारत की अर्थव्यवस्था विविध ग्लोबल व्यापार और मजबूत डोमेस्टिक डिमांड की वजह से क्षेत्रीय झटकों से काफी हद तक सुरक्षित है।
हाल की घटनाओं ने एक बार फिर भारतीय बाजार की लचीलापन दिखाया है। जहां निफ्टी स्थिर बना हुआ है और KSE 100 गिरावट दिखा रहा है, वहीं एक बात स्पष्ट है – आत्मविश्वास आर्थिक ताकत का प्रतिबिंब है, और बाजारों की इस लड़ाई में, भारत फिलहाल बढ़त बनाए हुए है।
*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर