डिजिटल युग में विज्ञापन की दुनिया तेजी से बदल रही है। ग्लोबल स्तर पर वर्ष 2015 से 2024 के बीच, विज्ञापन खर्च GDP के 0.6% से बढ़कर लगभग 0.85% हो गया है। इस वृद्धि में डिजिटल विज्ञापन का योगदान सबसे अधिक है, जो पिछले एक दशक में प्रति वर्ष 15%-20% की दर से बढ़ रहा है।
आइए देखें कि भारतीय डिजिटल विज्ञापन कितना बड़ा है और कौनसे फैक्टर्स इस इंडस्ट्री के ग्रोथ में अहम् भूमिका निभा रही है।
ग्लोबल परिदृश्य और भारत की स्थिति
दुनिया का कुल विज्ञापन मार्केट 2024 में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो ग्लोबल GDP का करीब 0.85% है। विकसित देशों जैसे अमेरिका में विज्ञापन खर्च GDP का 1.4% से बढ़कर 1.6% तक हो सकता है। इस वैश्विक वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान डिजिटल विज्ञापन का है। अकेले 2024 में डिजिटल विज्ञापन का साइज 690 बिलियन डॉलर रहा, जो कुल विज्ञापन खर्च का 70%-75% हिस्सा है। पारंपरिक विज्ञापनों की तुलना में डिजिटल माध्यम कई गुना तेज़ी से बढ़ रहे हैं।
भारत की स्थिति पर नज़र डालें तो यहां विज्ञापन खर्च अभी GDP का केवल 0.4% है। हालांकि, 2029 तक इसके बढ़कर 0.5% तक पहुँचने का अनुमान है। तुलना के लिए देखें तो चीन ने 2015-2020 के बीच अपने विज्ञापन खर्च को GDP के अनुपात में 0.5% से 0.8% तक बढ़ाया। वहीं, जापान में यह अनुपात 2019-2024 के बीच 0.7% से 1% तक पहुँच चुका है।

भारतीय डिजिटल विज्ञापन मार्केट भी इसी दिशा में मजबूत प्रगति कर रहा है। 2019 में इसका आकार सिर्फ $2–$3 बिलियन था, जो 2024 में बढ़कर $8–$10 बिलियन हो गया। अनुमान है कि 2029 तक करीब 15% CAGR वृद्धि दर के साथ यह $17–$19 बिलियन तक पहुँच जाएगा।
इस इंडस्ट्री के तेज़ी से बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं?
मोबाइल का दबदबा: भारत आज दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल उपभोक्ता मार्केट्स में से एक है। यहाँ 1.2 बिलियन से अधिक स्मार्टफोन यूज़र्स और करीब 950 मिलियन इंटरनेट यूज़र्स मौजूद हैं, जो रोज़ाना अपने मोबाइल पर औसतन 5 घंटे बिताते हैं, जिसमें से लगभग 70% समय स्क्रीन पर ही व्यतीत होता है। यही कारण है कि डिजिटल विज्ञापन का 70% पैसा मोबाइल विज्ञापनों पर खर्च होता है। इसमें भी लगभग 90% खर्च ऐप के अंदर दिखने वाले विज्ञापनों पर होता है।
वीडियो और स्मार्ट टीवी (CTV) का ज़माना: आजकल लोग इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स जैसे वीडियो देखना बहुत पसंद करते हैं। इसलिए, वीडियो वाले विज्ञापन सबसे तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही, भारत में स्मार्ट टीवी वाले घरों की संख्या सिर्फ़ दो साल में दोगुनी होकर 4.5 करोड़ हो गई है। हालाँकि अभी इस पर विज्ञापन खर्च कम है, लेकिन यह सालाना 15%–17% की दर से बढ़ रहा है।
ऑनलाइन शॉपिंग ऐप्स: अमेज़न, फ्लिपकार्ट और अब तो ब्लिंकिट और ज़ेप्टो जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियाँ भी विज्ञापन के लिए एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म बन गई हैं। जब आप इन ऐप्स पर कुछ खोजते हैं, तो आपको दूसरी चीज़ों के विज्ञापन भी दिखते हैं। ब्लिंकिट जैसी कंपनी की विज्ञापन से होने वाली कमाई एक साल में 4 गुना बढ़ गई ।
छोटे और नए बिज़नेस: इस इंडस्ट्री को सिर्फ़ बड़ी कंपनियाँ ही नहीं, बल्कि छोटे और मध्यम बिज़नेस (SMEs) और सीधे ग्राहकों को सामान बेचने वाले D2C ब्रांड भी आगे बढ़ा रहे हैं। डिजिटल विज्ञापन खर्च में उनका हिस्सा 2029 तक 40% से ज़्यादा होने की उम्मीद है ।
चुनौतियाँ और जोखिम
हर निवेश की तरह इस सेक्टर में भी कुछ चुनौतियाँ हैं, जिन पर निवेशकों को नज़र रखनी चाहिए।
डेटा प्राइवेसी के सख़्त नियम: सरकार अब इस बात को लेकर बहुत सख़्त हो गई है कि कंपनियाँ ग्राहकों के डेटा का इस्तेमाल कैसे करती हैं। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट जैसे कानूनों के आने से अब यूज़र्स को ट्रैक करके उन्हें विज्ञापन दिखाना मुश्किल हो गया है। लगभग 85% यूज़र्स ने ऐप ट्रैकिंग की अनुमति देने से मना कर दिया है, जिससे कंपनियों के लिए सही ग्राहक तक पहुँचना एक चुनौती बन गया है।
विज्ञापन से परेशान: आज के ग्राहक बहुत समझदार हैं। वे बार-बार एक जैसे और गैर-ज़रूरी विज्ञापन देखकर थक चुके हैं और उन्हें सक्रिय रूप से अनदेखा कर रहे हैं। इससे कंपनियों के विज्ञापन का असर कम हो रहा है।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा: सरकार 1 अप्रैल 2025 से 6% इक्वलाइजेशन लेवी (जिसे ‘गूगल टैक्स’ भी कहा जाता था) को हटा रही है। इससे गूगल और मेटा जैसी बड़ी विदेशी कंपनियाँ भारत में और भी मज़बूत हो सकती हैं, जिससे डोमेस्टिक ऐड-टेक कंपनियों के लिए मुकाबला बढ़ सकता है।
सरकारी नीतियाँ और समर्थन
डिजिटल इंडिया अभियान: 2015 में शुरू हुए इस अभियान ने पूरे देश में सस्ते इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं दिया है। इसने डिजिटल विज्ञापन इंडस्ट्री के लिए एक मज़बूत नींव तैयार की है, जिससे आज करोड़ों लोग ऑनलाइन हैं ।
डिजिटल विज्ञापन नीति, 2023: सरकार ने अपनी योजनाओं और संदेशों को जनता तक डिजिटल माध्यम से पहुँचाने के लिए एक आधिकारिक नीति बनाई है। इसके तहत, वेबसाइट, OTT प्लेटफॉर्म और पॉडकास्ट को सरकारी विज्ञापन मिल सकते हैं, जिससे इस सेक्टर को सीधा वित्तीय बढ़ावा मिलता है ।
स्टार्टअप और इनोवेशन को बढ़ावा: सरकार ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसी योजनाओं के ज़रिए स्टार्टअप्स को आगे बढ़ने में मदद कर रही है। इसके अलावा, बजट 2025 में भी डिजिटल स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए वित्तीय सहायता और टैक्स में छूट का प्रावधान किया गया है, जिससे इन्हें ऑनलाइन प्रचार करने में आसानी होगी।
निवेशक इसका फ़ायदा कैसे उठा सकते हैं?
इस तेज़ी से बढ़ती इंडस्ट्री का हिस्सा बनने के लिए निवेशक शेयर मार्केट में लिस्टेड कुछ कंपनियों पर नज़र रख सकते हैं। गूगल और मेटा जैसी बड़ी कंपनियाँ मार्केट के लगभग 75% हिस्से को नियंत्रित करती हैं, लेकिन बाकी 25% हिस्से में कई छोटी-बड़ी ‘ऐड-टेक’ कंपनियाँ हैं जो इस क्रांति को आगे बढ़ा रही हैं ।
भारत में लिस्टेड प्लेयर्स की बात करें तो एफल 3i लिमिटेड, वर्टोज़ लिमिटेड और R K स्वामी लिमिटेड जैसी कंपनियां अहम् भूमिका निभा रहे है।
भविष्य की संभावनाएं
आने वाले पाँच वर्षों में डिजिटल विज्ञापन ट्रेडिशनल विज्ञापनों से कहीं आगे निकलकर कुल विज्ञापन खर्च का 80%-85% हिस्सा बन जाएगा। ग्लोबल स्तर पर नॉर्थ अमेरिका की हिस्सेदारी अभी 45%-50% है, जो अगले वर्षों में 9%-11% वार्षिक दर से बढ़ेगी। वहीं, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्तमान 25%-30% से और मज़बूत होगी, जिसकी वजह है इंटरनेट पेनेट्रेशन का 50% से 60% तक पहुँचना, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का विस्तार और बढ़ता कंजम्पशन।
भारत इस सेक्टर में सबसे तेज़ी से बढ़ते मार्केट्स में शामिल है। यहाँ डिजिटल विज्ञापन 2024-2029 के बीच लगभग 15% वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है। कुल विज्ञापन खर्च में इसका हिस्सा 50%-60% से बढ़कर 60%-70% तक पहुँच सकता है। इस तेज़ी के पीछे OTT प्लेटफॉर्म्स का उदय, हाई-स्पीड इंटरनेट कवरेज और डिजिटल कंजम्पशन का बढ़ता हिस्सा मुख्य कारण हैं।
*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर