क्या प्रॉपर्टी निवेश के लिए फाइनेंसिंग सही विकल्प है?

क्या प्रॉपर्टी निवेश के लिए फाइनेंसिंग सही विकल्प है?
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रियल एस्टेट भारत में सबसे पसंदीदा और सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक बना हुआ है। हाल ही में एक सर्वे में पाया गया कि 2024 में भारत में 70% से अधिक महिलाओं ने रियल एस्टेट को अपने पसंदीदा निवेश के रूप में चुना, जो 2022 में 65% था।

स्टॉक्स और बॉन्ड्स के विपरीत, प्रॉपर्टी एक ठोस संपत्ति है, जो स्थिरता और लंबे समय तक धन उत्पन्न करने की सुविधा देती है। हालांकि, रियल एस्टेट खरीदने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत होती है, जो अक्सर लाखों या करोड़ों में होती है, जिससे इसे नकद में सीधे खरीदना मुश्किल हो जाता है। नतीजतन, ज्यादातर निवेशक अपनी प्रॉपर्टी खरीद को फाइनेंस करने के लिए लिवरेज पर निर्भर करते हैं।

इस आर्टिकल में, हम भारत में रियल एस्टेट में निवेश के लिए उपलब्ध विभिन्न फाइनेंसिंग विकल्प और मॉर्गेज सॉल्यूशंस के बारें में जानेंगे।

फाइनेंसिंग: प्रॉपर्टी खरीदने का एक मुख्य विकल्प

प्रॉपर्टी खरीदने के लिए बड़ी पूंजी की जरूरत होती है, साथ ही रजिस्ट्रेशन चार्जेस जैसे शुरुआती खर्चे भी होते हैं, जिन्हें फाइनेंसिंग के बावजूद नकद में देना पड़ता है। पूरी राशि एक साथ देना हर किसी के लिए संभव नहीं होता।
प्रॉपर्टी फाइनेंसिंग निवेशकों को अपनी निजी बचत को खत्म किए बिना रियल एस्टेट हासिल करने में सक्षम बनाती है, जिससे वे EMI में भुगतान कर सकते हैं, हालांकि इसके साथ कुछ लागतें भी जुड़ी होती हैं।

प्रॉपर्टी फाइनेंसिंग के योग्य होने के लिए, निवेशकों को कुछ मानदंडों को पूरा करना होता है, जैसे:

  • उधार पात्रता: अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन अप्रूवल की संभावना बढ़ाता है।
  • प्रतिस्पर्धी ब्याज दरें: कम दरें उधार लेने की लागत को कम करती हैं।
  • मौजूदा कर्ज: लेंडर मौजूदा देनदारियों का आकलन करते हैं।
  • उचित दस्तावेज: जरूरी कागजात पूरे होने चाहिए।
  • संपत्ति पात्रता: प्रॉपर्टी लेंडर के नियमों के अनुसार फाइनेंस योग्य होनी चाहिए।

प्रॉपर्टी निवेश के विभिन्न प्रकार

प्रॉपर्टी निवेश कई रूपों में आता हैं, प्रत्येक के अपने फायदे और जोखिम होते हैं। रेजिडेंशियल और कमर्शियल स्पेस से लेकर वेकेशन रेंटल्स और REITs तक, निवेशक अपनी जरूरतों, वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर चुन सकते हैं।

भारत में बढ़ते टूरिज्म के साथ, निवेशक विभिन्न टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं और उन्हें किराए पर देकर रेंटल इनकम कमा सकते हैं।

प्रॉपर्टी निवेश को फाइनेंस करने के फायदे

फाइनेंसिंग निवेश प्रॉपर्टी खरीदने का अच्छा विकल्प है, लेकिन इसके साथ लागतें भी आती हैं। अब आप शायद सोच रहे होंगे कि निवेश प्रॉपर्टी को फाइनेंस करने के क्या फायदे हैं। यहाँ कुछ हैं:

  • शुरुआती निवेश: निवेशक कुल लागत का सिर्फ 10-25% देकर प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं और बाकी को EMI के जरिए चुका सकते हैं।
  • टैक्स लाभ: मालिक होम लोन ब्याज पर 2 लाख रुपये तक और प्रिंसिपल अमाउंट पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं, संयुक्त मालिकाना होने पर भी।
  • ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट्स: कम शुरुआती निवेश निवेशकों को बॉन्ड्स, स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स और गोल्ड जैसे अन्य एसेट क्लास डायवर्सिफिकेशन लाने में सक्षम बनाते है।
  • लिक्विडिटी रिटेंशन: फाइनेंसिंग निवेशकों को मेडिकल इमरजेंसी या अप्रत्याशित खर्चों के लिए कैश बचाने में मदद करता है।
  • रेंटल इनकम: किरायेदार EMI को कवर करने में मदद करते हैं, जिससे वित्तीय बोझ कम होता है। यह न केवल इक्विटी बनाता है बल्कि प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ने से लंबे समय तक धन भी बढ़ाता है।
  • महंगाई से बचाव: प्रॉपर्टी की कीमतें समय के साथ बढ़ती हैं, जो महंगाई से सुरक्षा देती हैं।

प्रॉपर्टी निवेश को फाइनेंस करने के नुकसान

  • कैश फ्लो चुनौतियाँ: भुगतान तब भी जारी रहेगा, चाहे प्रॉपर्टी किराये की आय उत्पन्न कर रही हो या नहीं। लंबे समय तक खाली रहने से वित्तीय दबाव पड़ सकता है।
  • नकारात्मक किराये की आय: यदि किराये की आय EMIs जैसे खर्चों को कवर नहीं करती, तो निवेशकों को नकारात्मक कैश फ्लो का सामना करना पड़ सकता है, जिससे वित्तीय दबाव बढ़ता है।
  • क्रेडिट स्कोर पर निर्भरता: निवेश प्रॉपर्टी के लिए फाइनेंस प्राप्त करने के लिए आमतौर पर उच्च क्रेडिट स्कोर की आवश्यकता होती है। यदि क्रेडिट स्कोर खराब है, तो भले ही लोन मिल जाए, लेकिन ब्याज दर अधिक हो सकती है।
  • प्रीपेमेंट चार्जेस: यदि पूरी राशि पहले चुकाई जाती है, तो बैंक प्रीपेमेंट चार्जेस लगा सकता है, और ये चार्जेस बैंक के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।
  • ब्याज दर में उतार-चढ़ाव: ब्याज दरों में बदलाव से यदि ब्याज दर बढ़ती है, तो कुल भुगतान राशि में काफी वृद्धि हो सकती है।
  • प्रॉपर्टी फोरक्लोजर का जोखिम: यदि निवेशक अस्थिर कैश फ्लो या अन्य वित्तीय समस्याओं के कारण EMI भुगतान में चूक करता है, तो ऋणदाता फोरक्लोजर शुरू कर सकता है और प्रॉपर्टी को जब्त कर सकता है।

प्रॉपर्टी फाइनेंसिंग विकल्प

  • पारंपरिक होम लोन: ये सिक्योर्ड लोन हैं जो प्रॉपर्टी खरीद को फाइनेंस करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये आमतौर पर प्रॉपर्टी की कीमत का 70% से 90% कवर करते हैं, जो लेंडर की नीतियों और उधारकर्ता के वित्तीय प्रोफाइल पर निर्भर करता है।
  • मॉर्गेज लोन: मॉर्गेज लोन एक सिक्योर्ड लोन है जिसमें प्रॉपर्टी ही कोलैटरल के रूप में काम करती है। कैश में भुगतान करने के बजाय, रियल एस्टेट निवेशक बैंक से उधार लेकर प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं। अगर उधारकर्ता चुकाने में विफल रहता है, तो लेंडर प्रॉपर्टी को सिक्योरिटी के रूप में जब्त कर सकता है।
  • होम इक्विटी लोन: यह मालिकों को उनकी प्रॉपर्टी में इक्विटी के खिलाफ उधार लेने की अनुमति देता है, जिसमें घर को कोलैटरल के रूप में रखा जाता है। लोन की राशि प्रॉपर्टी के मार्केट वैल्यू और लेंडर के लोन-टू-वैल्यू रेशियो के प्रतिशत पर आधारित होती है। अगर उधारकर्ता डिफॉल्ट करता है, तो लेंडर प्रॉपर्टी को जब्त कर सकता है।
  • प्राइवेट मनी लोन: ये व्यक्तिगत निवेशकों या प्राइवेट एंटिटीज द्वारा प्रदान की गई धनराशि होती है, जो आमतौर पर परिवार और दोस्तों से ली जाती है। ये लोन लचीले नियमों के साथ आते हैं, जैसे रिपेमेंट शेड्यूल, इंटरेस्ट रेट्स और टेन्योर, जो लेंडर और उधारकर्ता के समझौते पर निर्भर करते हैं।
  • सेलर फाइनेंसिंग: ओनर फाइनेंसिंग या सेलर फाइनेंसिंग में सेलर सीधे खरीदार को फाइनेंस करता है बिना बैंक को शामिल किए। यह खरीदार को लचीली इंटरेस्ट रेट्स और टेन्योर प्रदान करता है। हालांकि, सेलर को खरीदार के डिफॉल्ट का जोखिम रहता है और वे सिक्योरिटी के रूप में प्रीपेमेंट मांग सकते हैं। डिफॉल्ट के मामले में, सेलर प्रीपेड राशि और प्रॉपर्टी दोनों को रख सकता है। खरीदारों के लिए, यह बैंक फीस से बचाता है और जिन्हें होम लोन नहीं मिल सकता, उनके लिए फायदेमंद है।
  • हार्ड मनी लोन: यह प्राइवेट लेंडर्स द्वारा प्रदान किया जाने वाला शॉर्ट-टर्म लोन है, खासकर कम क्रेडिट स्कोर वाले निवेशकों के लिए। बैंक लोन के विपरीत, अप्रूवल प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आधारित होता है, न कि पर्सनल क्रेडिट हिस्ट्री पर। इसका मतलब है कि उधारकर्ता व्यक्तिगत रूप से रिपेमेंट के लिए जिम्मेदार नहीं होता। हार्ड मनी लोन लॉन्ग-टर्म फाइनेंसिंग की प्रतीक्षा के दौरान त्वरित कैश की जरूरतों के लिए उपयोगी हैं।

निष्कर्ष

भारत में प्रॉपर्टी निवेश को फाइनेंस करना रियल एस्टेट हासिल करने का एक रणनीतिक तरीका प्रदान करता है बिना बचत को खत्म किए और लंबे समय तक धन सृजन की अनुमति देता है। पारंपरिक होम लोन के अलावा, निवेशक प्राइवेट मनी लेंडिंग और सेलर फाइनेंसिंग जैसे विभिन्न विकल्प चुन सकते हैं, जो उनकी वित्तीय लक्ष्यों और उधार पात्रता के आधार पर सबसे उपयुक्त होते हैं।

हालांकि, फाइनेंसिंग के साथ ब्याज लागत और लोन रिपेमेंट की जिम्मेदारियां जैसे जोखिम भी आते हैं। इसलिए, सावधानीपूर्वक योजना, गहन शोध और सही फाइनेंसिंग विकल्प चुनना जरूरी है।

*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
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