भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की खबरों का असर आज शेयर बाजार पर साफ़ दिखाई दिया। शुक्रवार की सुबह बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट निवेशकों के बीच चिंता का कारण बनी, लेकिन यह समय घबराने का नहीं बल्कि अवसर की तलाश करने का है।
जब दो पड़ोसी देश युद्ध की स्थिति में हों, तो आइए समझते हैं कि निवेशकों को क्या कदम उठाने चाहिए।
मार्केट की चाल कैसी रही?
आज सुबह के शुरुआती सत्र में निफ्टी 50 की शुरुआत 23,935.75 पर गैप-डाउन के साथ हुई। इस गिरावट के बावजूद, निफ्टी ने खुलते ही रिकवरी की, 24,000 के स्तर को पार किया और 24,164.25 का उच्चतम स्तर छुआ। हालांकि, यह लगभग 230 अंक के रेंज में, 24,165 और 23,935.75 के बीच ट्रेड कर रहा है। इसके अतिरिक्त, यह अभी भी 200-DEMA सपोर्ट स्तर 24,050 से नीचे ट्रेड कर रहा है।
वहीं, BSE सेंसेक्स 78,968.34 पर खुला, 79,000 को पार करने में सफल रहा, और फिर कुछ ही समय बाद निफ्टी 50 की तरह, दिन के सबसे निचले स्तर पर गिर गया। फिलहाल, यह लगभग 800 पॉइंट्स या 1% से अधिक नीचे है।
डरें नहीं – उद्देश्य के साथ कार्य करें
जब चल रहे संघर्ष जैसे संकट आते हैं, तो शेयर बाजार के गिरने और अस्थिर होने की स्थिति आम है। लेकिन याद रखें, यह गिरावट अक्सर भावनाओं से प्रेरित होती है और अस्थायी होती है, न कि अर्थव्यवस्था की वास्तविक ताकत का संकेत। बेचने की जल्दबाजी करने के बजाय, यह वैल्यू बायिंग और संपत्ति बनाने का समय है।
डिप खरीदें – सिर्फ मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि स्ट्रेंथ दिखाने के लिए
घबराहट में बेचना या युद्ध की चिंताओं के कारण बेचना तार्किक नहीं है; बल्कि अच्छी कंपनियों को बेहतर वैल्यूएशन पर खरीदना सही दृष्टिकोण है। यह सिर्फ इससे त्वरित मुनाफा कमाने के बारे में नहीं है, बल्कि शांत रहने और अपने निवेश के साथ स्मार्ट तरीके से काम करने के बारे में है।
यह एक बड़ा अवसर क्यों है?
गोल्ड रिजर्व रिकॉर्ड उच्च स्तर पर: भारत की आर्थिक नींव मजबूत है, हमारा गोल्ड रिजर्व अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। यह दिखाता है कि कठिन समय में भी हमारी अर्थव्यवस्था स्थिर है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, केंद्रीय बैंक के गोल्ड रिजर्व FY20 के 653 टन से बढ़कर मार्च 2025 तक 880 टन हो गए हैं, जो पांच साल में 35% की वृद्धि दर्शाता है!
कम क्रूड ऑयल प्राइस: ग्लोबल ऑयल प्राइस अपेक्षाकृत कम बनी हुई हैं, जो महंगाई को नियंत्रित करने और इंडस्ट्रीज तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने में मदद कर रही हैं। 5 मई, सोमवार, को क्रूड ऑयल 60 प्रति बैरल से नीचे गिर गया जब OPEC+ ने उत्पादन बढ़ाने की घोषणा की। विश्लेषकों का अनुमान है कि प्राइस 60 प्रति बैरल से नीचे गिर गया जब OPEC+ ने उत्पादन बढ़ाने की घोषणा की। विश्लेषकों का अनुमान है कि प्राइस 56 से $60 के बीच रेंज-बाउंड रहेंगी।
मजबूत कॉर्पोरेट प्रदर्शन: भारतीय कंपनियां कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। यह मार्केट गिरावट अर्निंग्स में गिरावट के कारण नहीं है, बल्कि टैरिफ वॉर्स और चल रहे भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच शॉर्टटर्म भावना के झटकों के कारण है।
निष्कर्ष
भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत और स्थिर बनी हुई है। जब तक GDP 6.3% से 6.5% के बीच रहती है, तब तक विकास को लेकर कोई चिंता नहीं है। प्रमुख संकेतक जैसे कि महंगाई 3.4% पर आना, IIP वृद्धि 3% पर होना, और मजबूत GST कलेक्शन सभी एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था की ओर इशारा करते हैं। बाजार की वैल्यूएशन भी अब अधिक रीज़नेबल होती जा रही है, जो सकारात्मक आउटलुक को बढ़ावा देती है।
इसके अलावा, Q4 FY25 के परिणाम उम्मीद से बेहतर रहे, और Q1 और Q2 के परिणाम मजबूत रहने की संभावना है। विदेशी निवेश की निरंतर बायिंग और हाल ही में हुआ भारत–यूके FTA बाजार की गति को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव का अर्थव्यवस्था और बाजार पर क्या असर पड़ा है, यह समझने के लिए तेजी मंदी के डिटेल फीचर आर्टिकल्स देखें – भारत-पाक संघर्ष: शेयर बाजार पर क्या होगा असर?, कैसे ऑपरेशन सिंदूर ने मार्केट की नब्ज़ को परखा, और पाकिस्तान के साथ ट्रेड हॉल्ट का क्या असर पड़ा।
*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
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