क्या आपने कभी गौर किया है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते है स्टॉक मार्केट में वोलेटिलिटी बढ़ने लगती है। क्योंकि चुनाव से पहले हमारे भारतीय एवं विदेशी फंड मैनेजर काफी उत्साहित रहते है और वे पिछले ट्रेंड्स को देखते हैं ताकि पता लगा सकें कि आने वाले महीनों में स्टॉक मार्केट कैसे व्यवहार कर सकता है।
भारत अगले कुछ महीनों में आम चुनावों के लिए तैयार है पिछले मार्केट रिकार्ड्स एवं वर्तमान मार्केट स्थिति के अनुसार, मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक और पूर्व-चुनाव रैली की संभावना है। लेकिन क्या सच में ऐसा है चलिए इस आर्टिकल में हम समझते है।
क्या है मामला?
आपने देखा होगा कि स्टॉक मार्केट नई जानकारी के प्रति काफी संवेदनशील होता हैं और चुनाव हमारे देश में अर्थव्यवस्था और समाज के लिए सबसे बड़े इवेंट्स में से एक हैं।
1980 से 2019 के बीच हुए 11 सामान्य चुनावों के छह महीनों के दौरान, सेंसेक्स ने औसतन 14.3% प्रॉफिट दिया है, जहां स्टॉक मार्केट ने राजनीतिक अनिश्चितता और परिवर्तन के बीच रैली को साबित किया है।
लेकिन सवाल यह आता है कि स्टॉक मार्केट का चुनाव से क्या सम्बन्ध है? चलिए समझते है!
स्टॉक मार्केट का चुनाव से क्या सम्बन्ध है?
चुनाव परिणाम पर निर्भरता: यह माना जाता है कि अगर चुनाव परिणाम मौजूद सरकार के हित में हैं, तो स्टॉक मार्केट बढ़ता है क्योंकि यह राजनीतिक स्थिरता की ओर संकेत करता है।
सरकार की विचारधारा: यदि सरकार ने आर्थिक विकास के लिए बेहतर दृष्टिकोण रखा है, तो यह मार्केट में सकारात्मक भावनाएं बनाएगा जिससे शेयर प्राइस में वृद्धि होगी।
एग्जिट पोल के रिजल्ट: एग्जिट पोल्स के रिजल्ट एक पार्टी की जीत की संभावना को इंडिकेट करते हैं। अगर एग्जिट पोल के परिणाम में बेहतर आर्थिक नीतियों वाली पार्टी के जीतने की संभावना है, तो स्टॉक प्राइस बढ़ेंगे अन्यथा कम होंगे।
कौन-कौन से क्षेत्र या उद्योग में वृद्धि की उम्मीद है: यदि जीतने वाली पार्टी ने देश में इंस्फ्रास्ट्रक्टर के विकास पर ध्यान देने की योजना बनाई है, तो इंस्फ्रास्ट्रक्टर और रियल एस्टेट इंडस्ट्री के स्टॉक्स बढ़ सकते हैं।
1980 से 2019 तक चुनाव के दौरान सेंसेक्स का प्रदर्शन
SAMCO सिक्योरिटीज के अनुसार, 2019 में, चुनावों के पहले छह महीनों में सेंसेक्स ने लगभग 10% की रैली की, जबकि 2014 में सेंसेक्स ने और भी अधिक लगभग 16% का प्रॉफिट दिया। हालंकि हमेशा ऐसा नहीं होता है क्योंकि 1998 के चुनाव में सेंसेक्स ने चुनाव से पहले 9.3% कमी की दर्ज की और इसके अलावा 2009 के चुनाव से पहले छह महीनों में, सेंसेक्स ने एक भयंकर 59.8% की रैली की।

यह इमेज से 1980 से 2019 चुनाव के दौरान सेंसेक्स के प्रदर्शन को दर्शाता है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
1 फरवरी को जारी बजट और हालिया तेजी का एक कारण चुनाव से पहले का माहौल भी है। लेकिन इस तेजी में उतार-चढ़ाव का खतरा बना हुआ है, क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) बिकवाली कर रहे हैं। एशियाई बाजारों से FII पैसा लगातार बाहर निकाल रहे है।
मिंट के अनुसार, जनवरी 2024 में अब तक भारतीय इक्विटी में लगभग ₹27,000 करोड़ की बिकवाली की है। इसलिए निवेशकों को निवेश से पहले गहरी रिसर्च और उचित निर्णय लेने की आवश्यकता है।
भविष्य की बातें
मनी कंट्रोल के अनुसार, ICICI डायरेक्ट द्वारा ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी रिपोर्ट जारी की गयी है जिसमें कहा गया है कि प्री-इलेक्शन रैली जून 2024 तक निफ्टी को 23,400 के स्तर तक ले जाने में कामयाब हो सकती है।
निफ्टी के जून तक 23,400 तक पहुंचने का अनुमान निम्न कारणों पर आधारित है:
चुनावी साल का असर: पिछले 30 सालों में 7 बार देखा गया है कि चुनाव वर्ष में फरवरी-मार्च में गिरावट के बाद कम से कम 14% की तेजी आती है।
बुल मार्केट का करेक्शन: आमतौर पर बुल मार्केट में 8% करेक्शन के बाद नया हाई बनता है। अभी सिर्फ 4.5% करेक्शन (ऑल टाइम हाई 22,124) हुआ है, इसलिए 20,500-20,800 मजबूत सपोर्ट बना हुआ है।
कंपनियों का प्रदर्शन: कई शेयरों में लंबे समय से कंसॉलिडेशन के बाद तेजी के संकेत मिल रहे हैं, जो निफ्टी के ऊपर जाने का समर्थन करते हैं।
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*आर्टिकल केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर