आजकल ख़बरों में भारतीय एयरलाइन कंपनियों के बारे में काफी चर्चा हो रही है। असल में, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का मानना है कि आने वाले कुछ सालों में भारतीय एयरलाइन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय पैसेंजर मार्केट का लगभग 50% हिस्सा अपने नाम कर लेंगी।
अभी देखते है कि आखिर भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में क्या हो रहा है और इंटरनेशनल पैसेंजर ट्रैफिक में भारतीय एयरलाइन्स की हिस्सेदारी क्यों बढ़ती जा रही है।
क्या है मामला?
6 मई 2024 को अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि 2027-28 तक देश के आधे से अधिक अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्री यातायात को भारतीय विमान कंपनियां ही संभालेंगी।
गौर करने वाली बात ये है कि ये बढ़त सिर्फ यात्रियों को भारत लाने या ले जाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भारत के रास्ते दूसरे देशों में जाने वाले यात्रियों को भी शामिल करती है। पिछले फाइनेंशियल में यह आंकड़ा 43% था, जो आने वाले चार सालों में बढ़कर 7% की उछाल के साथ लगभग 50% तक पहुंचने का अनुमान है।
इंटरनेशनल ट्रैफिक में बूम
डेक्कन हेराल्ड के अनुसार, फिस्कल 2024 में इंटरनेशनल ट्रैफिक बढ़कर लगभग 7 करोड़ हो गया था। ये आंकड़ा महामारी से पहले के स्तर यानि 2019-20 में 6.7 करोड़ को भी पार कर गया है। गौर करने वाली बात ये है कि महामारी के दौरान इंटरनेशनल ट्रैफिक घटकर लगभग 1 करोड़ तक पहुंच गया था। यह आंकड़ा बताता है कि भारतीय इंटरनेशनल ट्रैफिक में तेजी से सुधार हो रहा है।
बढ़ोत्तरी के पीछे क्या कारण हैं?
पिछले 15 महीनों में भारतीय एयरलाइन कंपनियों ने 55 नए अंतरराष्ट्रीय रूट जोड़े हैं, जिससे उनकी कुल संख्या 300 से भी ज्यादा हो गई है जिससे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय स्थलों के लिए सीधी उड़ानों की सुविधा भी बढ़ गयी है। इसके अलावा लोगो की बढ़ती डिस्पोज़ल इनकम, वीजा मिलने में आसानी और बढ़ते एयरपोर्ट्स की संख्या अंतरराष्ट्रीय पैसेंजर ट्रैफिक की ग्रोथ में अहम भूमिका निभा रही है।
सिर्फ इतना ही नहीं, भारत का अंतरराष्ट्रीय पैसेंजर ट्रैफिक तेजी से बढ़ रहा है और यह 2024 में लगभग 70 मिलियन तक पहुंच गया है जो महामारी से पहले के स्तर को भी पार कर चुका है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में सर्वाइव करना किसी चुनौती से कम नही है क्योंकि 1996 से अब तक 9 एयरलाइन कंपनियां बंद हो चुकी है और वर्तमान में कई कंपनियां ऑपरेशनल कॉस्ट हाई होने की वजह से प्रॉफिटेबल होने के लिए संघर्ष कर रही है, जिनमें एयर इंडिया, स्पाइस जेट आदि शामिल है।
इसके साथ ही इंडिगो, जिसके पास डोमेस्टिक मार्केट का 62% से ज्यादा हिस्सा है वह भी कई वर्षों से लॉस में थी, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति में सुधार आ रहा है और यह Q3 FY23 से प्रॉफिट में आ गयी है। अभी देखना है कि भारतीय एयरलाइन कंपनियों का इंटरनेशनल ट्रैफिक में मार्केट शेयर बढ़ने से स्थिति में कोई बदलाव आता है या नही।
भविष्य की बातें
मनी कंट्रोल के अनुसार, क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर अंकित केडिया का मानना है कि आने वाले चार फाइनेंशियल ईयर में एक्सपेंशन स्ट्रेटेजी के चलते इंटरनेशनल पैसेंजर मार्केट में भारतीय एयरलाइन कंपनियों की CAGR ग्रोथ 14-15% के आसपास रह सकती है।
IBEF के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (IATA) का कहना है कि अगले दस सालों में, यानी 2030 तक भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एयर पैसेंजर मार्केट बन सकता है, और इस क्षेत्र में चीन और अमेरिका को भी पीछे छोड़ सकता है। यही नहीं, यात्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए विमानों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और 2027 तक भारत में विमानों की संख्या 1,100 तक पहुंचने का अनुमान है।
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*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
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