भारत का डिफेंस सेक्टर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। पहले भारत डिफेंस प्रोडक्ट्स के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था, लेकिन अब ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खुद ही हथियार और डिफेंस इक्विपमेंट बना रहा है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे युद्धों ने न सिर्फ भारत का डिफेंस बजट बढ़ाया है, बल्कि देश को अपने हथियार खुद बनाने पर जोर देने के लिए प्रेरित किया है। नतीजा यह हुआ कि भारत की डिफेंस प्रोडक्शन क्षमता तेजी से बढ़ी है और एक्सपोर्ट भी 30 गुना ज्यादा हो गया है। आज भारत के बने डिफेंस प्रोडक्ट 100 से ज्यादा देशों को भेजे जा रहे हैं।
आइए, इस ग्रोथ स्टोरी को समझते हैं और देखते हैं कि क्या मार्केट करेक्शन के बाद इसमें निवेश के मौके हैं।
क्या है मामला?
भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में डिफेंस प्रोडक्शन में सबसे ज्यादा ग्रोथ हासिल की है। डिफेंस प्रोडक्शन का कुल वैल्यू ₹1,27,265 करोड़ तक पहुंच गया है, जो 2014-15 (₹46,429 करोड़) के मुकाबले 174% की बढ़ोतरी है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि आज भारत में 65% डिफेंस इक्विपमेंट खुद बनाएं जा रहे है, जबकि पहले 65-70% जरूरतें इम्पोर्ट से पूरी होती थीं। यह बदलाव दिखाता है कि भारत अब विदेशी सप्लायर्स पर कम निर्भर है और अपनी खुद की क्षमताएं मजबूत कर रहा है।
डिफेंस उत्पादन में वृद्धि

भारतीय डिफेंस प्रोडक्शन में 174% की बढ़ोतरी हुई है, जो FY15 में ₹46,429 करोड़ से बढ़कर FY24 में रिकॉर्ड ₹1.27 लाख करोड़ हो गया है।
‘मेक इन इंडिया’ पहल ने देश में डिफेंस प्रोडक्शन को बढ़ावा देने में बड़ी भूमिका निभाई है। अब भारत एडवांस्ड मिलिट्री इक्विपमेंट जैसे धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, ATAGS, LCA तेजस और नेवल के लिए डिस्ट्रॉयर, इंडिजिनस एयरक्राफ्ट कैरियर, सबमरीन जैसे प्रोडक्ट बना रहा है।
डिफेंस एक्सपोर्ट में 30 गुना उछाल
भारत जो पहले डिफेंस गुड्स का इम्पोर्टर था, आज एक बड़ा एक्सपोर्टर बन चुका है। पिछले एक दशक में डिफेंस एक्सपोर्ट ₹686 करोड़ (2013-14) से बढ़कर ₹21,083 करोड़ (2023-24) हो गया है, यानी 30 गुना ज्यादा।

न केवल डिफेंस प्रोडक्शन, बल्कि भारत के डिफेंस निर्यात में भी पिछले एक दशक में 21x की वृद्धि हुई है।
2004-2014 के बीच डिफेंस एक्सपोर्ट ₹4,312 करोड़ था, लेकिन 2014-2024 में यह ₹88,319 करोड़ तक पहुंच गया, जो 21 गुना बढ़ोतरी दिखाता है। सिर्फ पिछले साल (2022-23 से 2023-24) में ही एक्सपोर्ट में 32.5% की ग्रोथ हुई है।
आज भारत 100 से ज्यादा देशों को डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट कर रहा है, जिनमें USA, फ्रांस और आर्मेनिया शीर्ष खरीदार हैं।
डिफेंस सेक्टर इंडेक्स: निचले स्तर से 30% रैली
निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स को डिफेंस सेक्टर का प्रतिनिधित्व करने वाले स्टॉक्स के पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। 7,075.65 (17 दिसंबर, 2024) के पीक लेवल तक पहुंचने के बाद, यह मार्केट के साथ करेक्शन शुरू हुआ। 3 मार्च 2025 को अपने निम्नतम स्तर 5,025.35 से, इसने लगभग 25% की महत्वपूर्ण रैली दिखाई, जो निवेशकों द्वारा सेक्टर में निचले स्तर पर मजबूत खरीदारी रुचि को दर्शाता है। हालांकि, 11 अप्रैल 2025 को क्लोजिंग स्तर के अनुसार, इंडेक्स ने YTD आधार पर 3.46% का नकारात्मक रिटर्न दिया है।

निवेशकों के लिए इसमें क्या हैं?
भारत का डिफेंस क्षेत्र मजबूत निवेश संभावनाएं प्रदान करता है, जो बढ़ते बजट, प्राइवेट भागीदारी में वृद्धि, और मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों के माध्यम से आत्मनिर्भरता के प्रयासों से प्रेरित है। बढ़ते उत्पादन, निर्यात, और 2029 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ, यह क्षेत्र लॉन्गटर्म विकास के लिए अच्छी स्थिति में है।
इसके अलावा, FY 2024-25 में, रक्षा मंत्रालय ने 2.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक वैल्यू के रिकॉर्ड 193 कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए, जो पिछले उच्चतम स्तर से लगभग दोगुना है। इनमें से 92% भारतीय कंपनियों को दिए गए, जिससे आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला और स्थानीय इंडस्ट्री को प्रोत्साहन मिला।
भविष्य की बातें
सरकार ने 2029 तक ₹50,000 करोड़ का डिफेंस एक्सपोर्ट और ₹3 लाख करोड़ का डिफेंस प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा है, जो भारत को ग्लोबल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद करेगा।
इसके अलावा, प्राइवेट कंपनियां भी इस सेक्टर में अहम भूमिका निभा रही हैं। आज कुल डिफेंस प्रोडक्शन में उनकी हिस्सेदारी 21% है, जो आने वाले समय में और बढ़ेगी। बढ़े हुए डिफेंस बजट और लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस के चलते इस सेक्टर की भारतीय कंपनियों को बड़ा फायदा होगा।
*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
*डिस्क्लेमर: तेजी मंदी डिस्क्लेमर