हाई-ग्रोथ IPOs: निवेशकों के लिए कैसे बन रहें है गेम चेंजर?

हाई-ग्रोथ IPOs: निवेशकों के लिए कैसे बन रहें है गेम चेंजर?
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भारतीय कैपिटल मार्केट 2025 में अब तक का सबसे व्यस्त और आकर्षक दौर देख रहा है। IPO की बाढ़ ने निवेशकों का ध्यान खींचा है और नए इश्यू के प्रति निवेशकों का उत्साह लगातार बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक IPO के माध्यम से कंपनियों ने ₹1 लाख करोड़ से अधिक की पूंजी जुटाई है, जिससे 2025 को रिकॉर्ड-तोड़ वर्ष माना जा रहा है।

जहां पहले IPO को केवल कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने का साधन माना जाता था, वहीं अब यह निवेशकों के लिए हाई-ग्रोथ एंट्री पॉइंट बन गया है। आइए समझते हैं कि IPO भारतीय निवेशकों के लिए गेम चेंजर साबित कैसे हो रहे है।

क्या है मामला?

भारतीय IPO मार्केट ने हाल ही के वर्षों में जबरदस्त तेजी दिखाई है। 2024 में रिकॉर्ड 331 IPOs आए, जिनसे मुख्य बोर्ड और SME प्लेटफॉर्म पर मिलाकर ₹1.68 लाख करोड़ जुटाए गए। यह न केवल पिछले वर्षों से बड़ी छलांग थी, बल्कि एशिया में भी सबसे ज्यादा IPO का रिकॉर्ड बना। आने वाले समय में फिन-टेक, ई-कॉमर्स और स्पेशलाइज्ड मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर्स की मजबूत पाइपलाइन इस रफ्तार को और आगे ले जाने के लिए तैयार है।

2025 में भले ही IPO की संख्या कुछ कम रही हो, लेकिन प्रभाव बेहद गहरा रहा। 2 अक्टूबर 2025 तक भारत में 78 मेनबोर्ड IPOs हो चुके हैं, जिनसे कुल मिलाकर ₹1,16,754 करोड़ जुटाए गए या जुटाए जाएंगे, क्योंकि कुछ IPOs की लिस्टिंग होना अभी बाकी है। इनमें से स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स और क्वालिटी पावर इलेक्ट्रिकल ने निवेशकों की पूंजी को महज नौ महीनों में दोगुने से भी ज्यादा कर दिया है। साथ ही, आदित्य इन्फोटेक, प्रोस्टारम इन्फो सिस्टम्स और एथर एनर्जी जैसी कंपनियों से भी मल्टीबैगर रिटर्न की उम्मीदें बढ़ रही हैं।

IPO बूम के पीछे का सच

FY25 में भारतीय प्राइमरी मार्केट ने जबरदस्त तेजी दिखाई, जहां 105 कंपनियों ने IPOs, OFS और FPO के जरिए ₹2.11 लाख करोड़ जुटाए। FY26 भी इसी रफ्तार पर है, क्योंकि 75 कंपनियों को अप्रूवल मिल चुका है और 90 कंपनियां SEBI की कतार में हैं।

लेकिन इस उछाल के पीछे कई चिंताजनक पहलू भी हैं। कंपनियां अधिक वैल्यूएशन पाने के लिए अपने फाइनेंशियल्स को आर्टिफिशियल रूप से चमका रही हैं, और नतीजतन 2024 के 38% और 2025 के 22% IPOs नेगेटिव में ट्रेड कर रहे हैं। SME प्लेटफॉर्म पर भी 212 नई लिस्टिंग्स में से 79 पहले ही नुकसान में चली गई हैं। साथ ही, प्रमोटर्स IPO बूम का इस्तेमाल अपनी निजी नेटवर्थ बढ़ाने में कर रहे हैं, जिससे टॉप 500 कंपनियों में प्रमोटर होल्डिंग घटकर 40% रह गई है।

2025 में IPO का प्रदर्शन

इस साल के पहले नौ महीनों में IPO मार्केट का प्रदर्शन मिश्रित रहा। जहां दो टॉप परफॉर्मर्स ने शानदार रिटर्न दिया, वहीं 6 कंपनियों ने 40% से 90% तक का रिटर्न दिया। इसके अलावा 20 IPOs ने डबल-डिजिट, और 10 IPOs ने सिंगल-डिजिट रिटर्न दिए। लेकिन बाकी 30 IPOs ने या तो निवेशकों को कुछ नहीं कमा कर दिया या फिर नुकसान कराया।

आंकड़ों के अनुसार, कुल IPOs में से 38 ने निवेशकों को फायदा पहुंचाया, जबकि 5 कंपनियां आज भी अपने इश्यू प्राइस पर अटकी हुई हैं और 25 IPOs वर्तमान में लाल निशान में ट्रेड हो रहे हैं। यह साफ दिखाता है कि IPO मार्केट में अवसर जरूर हैं, लेकिन हर इश्यू सफलता की गारंटी नहीं देता।

निवेशकों के लिए इसमें क्या है?

IPO अब केवल शॉर्ट-टर्म लिस्टिंग गेन का साधन नहीं रहे, बल्कि लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन का अवसर भी दे रहे हैं। 2025 में कई IPOs पहले ही दिन 20%–50% प्रीमियम पर लिस्ट हुए, जबकि कुछ जैसे स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स और क्वालिटी पावर इलेक्ट्रिकल ने निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न दिए। यह साफ दिखाता है कि सही IPO में लॉन्ग-टर्म निवेश की क्षमता मौजूद है।

IPO निवेश का बड़ा फायदा यह है कि यह निवेशकों को शुरुआती फेज में मजबूत और तेजी से बढ़ती कंपनियों का हिस्सा बनने का मौका देता है। लेकिन जोखिम भी हैं ओवरसब्सक्रिप्शन, अधिक वैल्यूएशन और मार्केट वोलैटिलिटी रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।

पिछले दो महीनों में भारत के IPO मार्केट में 80 से अधिक लिस्टिंग्स हुईं, जिनसे मुख्य बोर्ड और SME से लगभग ₹35,000 करोड़ जुटाए गए। इसके बावजूद निवेशकों का औसत रिटर्न केवल 7% रहा, और मुख्य बोर्ड में 31 में से 16 कंपनियां अपने इश्यू प्राइस से नीचे ट्रेड कर रही हैं, जो हाल ही की लिस्टिंग्स की चुनौतियों को दर्शाता है।

भविष्य की बातें

भारत का प्राइमरी मार्केट 2025 में रिकॉर्ड तोड़ने की ओर है। अब तक मेनबोर्ड IPOs ने ₹1 लाख करोड़ से अधिक की फंडिंग हासिल कर ली है, और साल में अभी तीन महीने बाकी हैं। इतिहास में यह केवल तीसरी बार है जब इस स्तर को पार किया गया है।

CNBC TV18 के अनुसार, जेपी मॉर्गन के भारत इक्विटी कैपिटल मार्केट्स हेड, अभिनव भारती का कहना है कि, भारतीय कैपिटल मार्केट में मजबूत गति जारी है और साल के आखिरी तिमाही में भी सकारात्मक IPO पाइपलाइन बनी हुई है। उन्होंने बताया कि इस साल अब तक कुल पूंजी जुटाने का आंकड़ा लगभग $42–43 बिलियन पहुंच गया है, जिसमें IPOs से $10–11 बिलियन शामिल हैं। यदि यह ट्रेंड पूरे साल के लिए जारी रहता है, तो कुल पूंजी जुटाना $55–60 बिलियन तक पहुंच सकता है, जो 2024 के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा कैपिटल मार्केट वॉल्यूम होगा।

*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
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