भारत का डेंटल सेक्टर: 2030 तक $10 बिलियन का होगा?

भारत का डेंटल सेक्टर: 2030 तक $10 बिलियन का होगा?
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भारत में डेंटल केयर अक्सर स्वास्थ्य से जुड़ी बड़ी चर्चाओं में पीछे रह जाती है। बहुत से लोग तब ही डेंटिस्ट के पास जाते हैं जब दर्द सहन नहीं होता या समस्या गंभीर हो जाती है। लंबे समय तक डेंटल क्षेत्र असंगठित रहा और आधुनिक टेक्नोलॉजी की कमी थी। लेकिन अब धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। बढ़ती जागरूकता, बेहतर इलाज के विकल्प और ओरल हाइजीन व खूबसूरती पर ध्यान बढ़ने से डेंटल हेल्थ को वह महत्व मिलने लगा है जिसका वह हकदार है। जिसे एक समय नजरअंदाज किया जाता था, वह अब रोजमर्रा की हेल्थ प्लानिंग का हिस्सा बन रहा है।

आइए, भारत के डेंटल केयर इंडस्ट्री, इसकी ग्रोथ, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं को समझते हैं।

भारत की डेंटल केयर इंडस्ट्री की वर्तमान स्थिति

अवेंडस (Avendus) के अनुसार, भारत का डेंटल मार्केट 2024 से 2028 के बीच 14% CAGR से बढ़कर 68,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। ऑर्थोडॉन्टिक्स सेगमेंट अकेले 14,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। वहीं, ग्लोबल डेंटल केयर मार्केट तेजी से बढ़ रहा है और 2028 तक $850 बिलियन को पार करने की उम्मीद है।

भारत का प्रति व्यक्ति डेंटल हेल्थ एक्सपेंडिचर अभी भी US, UK और चीन की तुलना में बहुत पीछे है।

भारत में डेंटल डिजीज के मामले सबसे ज्यादा हैं, खासकर कैविटी और गम प्रॉब्लम्स है। फिर भी, भारत में डेंटिस्ट डेंसिटी सबसे कम है — प्रति 10,000 लोगों पर केवल 2 डेंटिस्ट। यह कनाडा (6.6 डेंटिस्ट) और अमेरिका (6.3 डेंटिस्ट) जैसे देशों के मुकाबले एक-तिहाई से भी कम है। ग्रामीण और अंडरसर्व्ड (Underserved) इलाकों में यह अंतर और भी ज्यादा है, जहां डेंटल केयर तक पहुंच बहुत सीमित है।

भारत के पूर्वी और मध्य राज्य अभी भी डेंटिस्ट की उपलब्धता के प्रतिशत के मामले में अंडरपेनेट्रेटेड हैं।

भारत की 60% से ज्यादा आबादी डेंटल प्रॉब्लम्स से पीड़ित है, लेकिन केवल 4.5% लोग ही डेंटिस्ट के पास जाते हैं। वहीं, केवल 47% ट्रीटमेंट्स लाइसेंस्ड प्रोफेशनल्स द्वारा किए जाते हैं। भारत में, दक्षिण भारतीय राज्यों में देश के कुल डेंटिस्ट का लगभग 45% हिस्सा है।

भारतीय डेंटल मार्केट की ग्रोथ ड्राइवर्स

भारतीय डेंटल इंडस्ट्री के ग्रोथ के पीछे कई कारण हैं:

  • हाई डेंटल प्रॉब्लम्स और अंडर-पैनेट्रेशन: भारत में कैविटी, गम डिजीज और मिसअलाइंड टीथ जैसी समस्याएं आम हैं, लेकिन कम जागरूकता और डेंटिस्ट की कमी के कारण डेंटल केयर अभी भी सीमित है।
  • बढ़ती जागरूकता: अब लोग ओरल हेल्थ को गंभीरता से ले रहे हैं और टीथ व्हाइटनिंग (Teeth whitening), विनीर्स (Veneers), क्राउन (Crowns) और ब्रेसिज़ (Braces) जैसे ट्रीटमेंट्स चुन रहे हैं।
  • टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट्स: एलाइनर्स और क्राउन जैसे एडवांस्ड डेंटल टूल्स अब ज्यादा इस्तेमाल हो रहे हैं और मरीजों में इनकी पॉपुलैरिटी बढ़ रही है।
  • डिस्पोजेबल इनकम: भारत में बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम की वजह से लोग प्रिवेंटिव (Preventive) और कॉस्मेटिक डेंटल ट्रीटमेंट्स अफोर्ड कर पा रहे हैं।
  • डेंटल टूरिज्म: अमेरिका, ब्रिटेन और मिडिल ईस्ट जैसे देशों के लोग भारत में सस्ते और क्वालिटी डेंटल ट्रीटमेंट के लिए आते हैं।
  • मैन्युफैक्चरिंग हब: भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप जैसे देशों को डेंटल प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट कर रहा है, जिससे डेंटल इंडस्ट्री को बढ़ावा मिल रहा है।
  • बढ़ता फॉरेन फंडिंग: बढ़ती डिमांड के साथ, इंटरनेशनल डेंटल कंपनियां भारत में बिजनेस सेट अप कर रही हैं।

भारतीय डेंटल केयर इंडस्ट्री की चुनौतियाँ

भारत की डेंटल केयर इंडस्ट्री को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे:

  • जागरूकता की कमी: बहुत से भारतीय तभी डेंटिस्ट के पास जाते हैं जब दर्द या सूजन असहनीय हो जाती है। इस देरी से ट्रीटमेंट मुश्किल हो जाता है।
  • स्ट्रक्चर्ड इंश्योरेंस का अभाव: जर्मनी जैसे देशों में इंश्योरेंस में रेगुलर डेंटल चेक-अप्स शामिल होते हैं, लेकिन भारत में ज्यादातर लोग अपनी जेब से भुगतान करते हैं।
  • प्रिवेंशन की बजाय ट्रीटमेंट पर फोकस: लोग ब्रशिंग, फ्लॉसिंग और रेगुलर चेक-अप्स को नजरअंदाज करते हैं, जिससे बाद में गंभीर समस्याएं होती हैं।
  • डेंटल प्रोफेशनल्स का असमान वितरण: ग्रामीण इलाकों में डेंटिस्ट की कमी है, जहां सुविधाएं सीमित हैं।
  • असंगठित मार्केट: भारत में ओरल डिजीज का बोझ ज्यादा है, लेकिन डेंटल केयर सेक्टर अभी भी अंडरपैनेट्रेटेड (Underpenetrated) और फ्रैगमेंटेड (Fragmented) है।
  • पब्लिक हेल्थकेयर की सीमित भूमिका: सरकारी अस्पताल और हेल्थ स्कीम्स डेंटल केयर पर कम ध्यान देते हैं।

स्टॉक्स जिन पर नजर रखनी चाहिए

भविष्य की बातें

ग्लोबल डेंटल केयर सर्विसेज मार्केट 2030 तक $840 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है। वहीं, भारत का डेंटल केयर मार्केट अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन 2030 तक $10 बिलियन तक पहुंच सकता है। भारत का डेंटल कंज्यूमेबल्स मार्केट, जिसमें क्राउन और फिलिंग्स जैसे प्रोडक्ट्स शामिल हैं, FY23 से FY30 तक 14.5% की दर से बढ़ रहा है।

ऑर्थोडॉन्टिक्स एक और क्षेत्र है जो ग्लोबली और भारत में तेजी से बढ़ रहा है। ग्लोबल मार्केट 13.5% सालाना की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जबकि भारत का मार्केट 16.5% सालाना की दर से बढ़ेगा। इसी तरह, ग्लोबल क्लियर एलाइनर मार्केट 15% सालाना की दर से बढ़ेगा। भारत में क्लियर एलाइनर्स का इस्तेमाल अभी कम है, इसलिए यहां ग्रोथ की बड़ी संभावना है।

जैसे-जैसे लोग डेंटल ट्रीटमेंट्स अपनाएंगे, भारत का ओरल हेल्थकेयर पर खर्च बढ़ेगा, जिससे डेंटल इंडस्ट्री को मजबूती मिलेगी।

*आर्टिकल में शामिल कंपनियों के नाम केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है।
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