सितंबर 2024 में भारत के ट्रेड डेफिसिट में काफी सुधार देखने को मिला है, जो कि पिछले पांच महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। जिसकी मुख्य वजह मर्चेंडाइज निर्यात में बढ़ोतरी और सोने के आयात में कमी है। इसके साथ ही ग्लोबल मार्केट में भारतीय मर्चेंडाइज की डिमांड में इजाफा हुआ है, जिससे निर्यात में स्थिरता बनी हुई है। इसलिए, यह न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि निवेशकों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
आइए, विस्तार से जानते हैं कि कैसे निर्यात की यह वृद्धि और आयात में कमी भारत के ट्रेड डेफिसिट को कम करने में मदद कर रही है और यह निवेशकों के लिए क्या मायने रखती है।
क्या है मामला?
16 अक्टूबर को वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार, सितंबर 2024 में भारत का ट्रेड डेफिसिट 5 महीने के निचले स्तर पर आ गया है, लेकिन सालाना आधार पर पिछले वर्ष की तुलना में 20.08 से बढ़कर 20.78 बिलियन डॉलर हो गया। यह वृद्धि मामूली निर्यात में बढ़ोतरी के कारण हुई, जिसमें मुख्य रूप से कपड़ा, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट शामिल थे। पेट्रोलियम निर्यात में कमी होने के बावजूद, सोने के आयात में तेज गिरावट ने ट्रेड डेफिसिट को कुछ हद तक संतुलित किया।
पिछले कुछ महीनों की बात करें तो, अगस्त 2024 में ट्रेड डेफिसिट 29.65 बिलियन डॉलर, जुलाई में यह 23.5 बिलियन डॉलर, जून में 20.98 बिलियन डॉलर, मई में 23.78 बिलियन डॉलर और अप्रैल में 19.1 बिलियन डॉलर दर्ज किया गया था।
निर्यात और व्यापार संतुलन
सितंबर माह में भारत का मर्चेंडाइज निर्यात 0.5% की वृद्धि के साथ $34.58 बिलियन तक पहुंच गया है। यह दो महीने की गिरावट के बाद मामूली सुधार है। वहीं, आयात भी 1.6% बढ़कर $55.36 बिलियन हो गया, जिससे ट्रेड डेफिसिट कम हुआ है। इसके साथ ही, सितंबर में सोने का आयात पिछले साल के $4.11 बिलियन की तुलना में थोड़ा अधिक है, लेकिन अगस्त की तुलना में निर्यात 60% घटकर $10 बिलियन से $4.39 बिलियन पर आ गया है।
इसके साथ ही, तेल का आयात 10.44% घटकर $12.53 बिलियन पर आ गया है और अप्रैल-सितंबर के दौरान तेल आयात में 5.91% की वृद्धि के साथ $88.91 बिलियन पर पहुंच गया है। सिल्वर आयात तीन गुना बढ़कर $325.66 मिलियन हो गया, और कपास के कच्चे और अपशिष्ट आयात भी $134.20 मिलियन तक बढ़े है।
ट्रेड डेफिसिट और आर्थिक प्रभाव
सितंबर माह में भारत का निर्यात 0.6% बढ़कर $34.6 बिलियन और आयात 1.7% बढ़कर $55.6 बिलियन हो गया है। आकड़ो के अनुसार, अप्रैल-सितंबर 2023 में चीन अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक पार्टनर बन गया है, जहां चीन से आयात $56.3 बिलियन तक बढ़ गया, जबकि निर्यात घटकर $6.9 बिलियन रह गया है।
इसके विपरीत, अमेरिका भारत का शीर्ष निर्यात डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है, जहाँ शिपमेंट की वैल्यू 5.6% बढ़कर 40.4 बिलियन डॉलर पर पहुंच गयी है। साथ ही, UK भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात डेस्टिनेशन बना गया है।
यह बदलाव ग्लोबल व्यापार में हो रहे आर्थिक बदलावों को दर्शाता है, जहां चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट चिंताजनक है, जो अप्रैल-सितंबर 2023 में $49.4 बिलियन तक पहुंच गया है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ भारत के निर्यात में वृद्धि ने संतुलन बनाए रखा है।
निवेशकों के लिए इसमें क्या है?
निवेशकों के लिए यह समय एक सकारात्मक संकेत लेकर आया है। निर्यात में वृद्धि और ट्रेड डेफिसिट में कमी भारतीय बाजार के लिए अच्छा संकेत है। इसके अलावा, सोने के आयात में कमी से भी आयात-निर्यात व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे करेंसी का संतुलन बेहतर हो सकता है।
भविष्य की बातें
मिंट के अनुसार, कॉमर्स सेक्रेटरी सुनील बर्थवाल ने यह स्वीकार किया था कि भारत के निर्यात को ग्लोबल आर्थिक मंदी, पश्चिम एशिया और यूक्रेन में चल रहे जिओपॉलिटिकल तनाव, और रेड सी व्यापार मार्ग में रुकावटों जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इन कठिनाइयों के कारण भारतीय निर्यात को अपेक्षित गति नहीं मिल पा रही है। इसके साथ ही, WTO का अनुमान है कि 2024 में ट्रेड वॉल्यूम में 2.6% की वृद्धि होगी और 2025 में यह बढ़कर 3.3% हो सकती है, हालांकि जिओपॉलिटिकल जोखिम बने रहेंगे।
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*यह आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। यह कोई निवेश सलाह नहीं है।
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